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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

हूँ। मैं उपनिषद् भी पढ़ता रहा हूँ। इन सबसे इसी विचारकी पुष्टि होती है कि शिक्षाका अर्थ अक्षर-ज्ञान नहीं है, बल्कि उसका अर्थ चरित्र निर्माण है। उसका अर्थ कर्तव्यका ज्ञान है। हमारे अपने शब्दका[१] ठीक अर्थ है "तालीम " । यदि यह दृष्टिकोण ठीक हो - और मेरे विचारसे केवल यही दृष्टिकोण ठीक है. तो तुम्हें जितनी सम्भव है उतनी अच्छी शिक्षा मिल रही है। यदि तुम्हें अपनी माँकी शुश्रूषा करने और उसके चिड़चिड़े- पनको प्रसन्नतापूर्वक सहनेका या चंचीकी देखभाल करने और उसकी आवश्यकताओंको जान लेने तथा उससे इस तरहका व्यवहार करनेका, जिससे उसे हरिलालका अभाव न खटके, या फिर रामदास और देवदासके संरक्षक बननेका अवसर मिले तो इससे अच्छा क्या हो सकता है ? यदि तुम यह काम अच्छी तरह करनेमें सफल हो जाओ, तो तुम्हें आधीसे ज्यादा शिक्षा मिल गई।

पढ़ाईमें तुमको गणित और संस्कृतकी ओर बहुत ध्यान देना चाहिए । संस्कृत तुम्हारे लिए बिल्कुल जरूरी है। ज्यादा उम्रमें इन दोनों विषयोंका अध्ययन कठिन है । संगीतकी भी उपेक्षा न करना। तुमको अंग्रेजी, गुजराती या हिन्दी, जिसमें भी हो, पुस्तकोंके सब अच्छे स्थलों, मन्त्रों और कविताओंको छाँट लेना चाहिए। और उनको एक कापीमें अच्छेसे अच्छे अक्षरोंमें लिख लेना चाहिए। यह संग्रह वर्षके अन्तमें अत्यन्त मूल्यवान बन जायेगा। यदि तरीकेसे करोगे तो ये सब काम तुम सुगमतासे कर सकते हो । कभी उद्विग्न होकर यह न सोचना कि तुम्हें बेहद काम करना है; और न फिर इस बात से परेशान होना कि पहले क्या करूँ । यदि तुम धैर्य रखोगे और अपने थोड़े-थोड़े समयका भी सदुपयोग करोगे तो तुमको व्यवहारमें इसका ज्ञान हो जायेगा । आशा है, तुम घरके लिए खर्च की गई एक-एक पेनीका हिसाब ठीक-ठीक रख रहे होगे। यह अवश्य रखा जाना चाहिए ।

आनन्दलालभाईको याद दिला देना कि उसने प्रतिज्ञा की थी, वह इस बार अपनी पढ़ाई बन्द न करेगा। मुझे इस बातकी अधिक चिन्ता है कि वह विजयाको[२] उचित शिक्षण दे। क्या उसने बगीचा ले लिया है ?

मगनलालसे कहना कि मैं उसको इमर्सनके निबन्ध पढ़नेकी सलाह देता हूँ। वे डर्वनमें नौ पेंसमें मिल सकते हैं। उनका एक सस्ता संस्करण भी है। ये निबन्ध पठनीय हैं। उसे इनको पढ़ना चाहिए; और इनके महत्त्वपूर्ण स्थलोंको चिह्नित करना चाहिए; अन्तमें उनकी एक नोटबुकमें नकल कर लेनी चाहिए। मेरे विचारसे इन निबन्धोंमें पाश्चात्य जामा पहनाकर भारतीय ज्ञानको शिक्षा दी गई है। कभी-कभी अपनी चीजको इस प्रकार भिन्न रूपमें देखकर स्फूर्ति मिलती है । उसको टॉल्स्टॉयकी 'किंगडम ऑफ़ गॉड इज विदिन यू' ( ईश्वरका साम्राज्य तुम्हारे ही भीतर है) पढ़नेका प्रयत्न भी करना चाहिए। यह अत्यन्त तर्क सम्मत- पुस्तक है। अनुवादकी अंग्रेजी भी बहुत सरल है । इसके अलावा, टॉल्स्टॉय जो सिखाते हैं उसपर आचरण भी करते हैं।

मुझे आशा है कि सायंकालीन प्रार्थना अभी चलती होगी और तुम तथा दूसरे सब लोग रविवारकी प्रार्थनामें वेस्टके यहाँ जाते होंगे ।

  1. गुजराती शब्द “केळवणी ", जिसका ठीक अर्थ होता है शिक्षा द्वारा बच्चेके शारीरिक और मानसिक - सब गुणोंका विकास करना ।
  2. आनन्दलालकी पुत्री ।