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पृष्ठ:सरदार पूर्णसिंह अध्यापक के निबन्ध.djvu/११

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निबन्धकार एवं कवि पूर्णसिंह इन्होंने अपने अनोखे ढंग के प्रोजस्वी भाषणों तथा अपनी विद्वत्ता से लोगों को बहुत प्रभावित किया । पूर्णसिंह बहुत ही ऊँची प्रतिभा के व्यक्ति थे। धीरे-धीरे इनकी योग्यता की ख्याति फैलने लगी । शीघ्र ही संवत् १६६३ में देहरादून के इम्पीरियल फारेस्ट रिसर्च इन्स्टीट्यूट में ५०० ) मासिक पर ये बुला लिये गये। पर अपने फक्कड़ स्वभाव और स्वामी रामतीर्थ के अाध्यात्मिक विचार- धारा से अत्यधिक प्रभावित होने के कारण इनके वेतन का प्राधा हिस्सा साधु-सन्तों के सत्कार और उपहार में ही व्यय हो जाता था । यहाँ रासायनिक के पद पर रहते हुए इन्होंने कई जंगली तेलों की नयी खोज और अध्यापक पूर्णसिंह अाविष्कार किया, जो उस समय काफी चर्चा के विषय बने रहे। इनकी रासायनिक रिपोर्ट भी बड़ी मौलिक होती थीं। जब ये देहरादून में अध्यापक थे उसी समय संवत् १६६६ में स्यालकोट में सिखविधायक कान्कन्स हुई। उसमें पूर्णसिंह भी गये हुए थे और वहाँ पर इनकी भेंट पंजाबी के पुनः सिख- प्रसिद्ध कवि भाई वारसिंह से हुई । उनसे धर्म में मिलकर ये बहुत प्रभावित हुए और उनके ऊपर श्रद्धालु होकर उन्हीं के प्रभाव से पुनः सिख- मंडल में आ गये । तब से अन्त तक सिखधर्म में बने रहे । सिखधर्म ग्यारह