पृष्ठ:सरदार पूर्णसिंह अध्यापक के निबन्ध.djvu/५३

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सच्ची वीरता. u , दुनिया के छोटे "जार्ज" बड़े कायर होते हैं। क्यों न हो, इनकी हुकूमत लोगों के दिलों पर नहीं होती । दुनिया के राजाओं के बल की दौड़ लोगों के शरीर तक है । हाँ, जब कभी किसी अकबर का राज लोगों के दिलों पर होता है तब इन कायरों की बस्ती में मानों एक सच्चा वीर पैदा हुआ। एक बागी गुलाम और एक बादशाह की बातचीत हुई । यह कैदी गुलाम-दिल से आजाद था। बादशाह ने कहा-"मैं तुमको अभी जान से मार डालूँगा। तुम क्या कर सकते हो ?" गुलाम बोला- "हाँ, मैं फाँसी पर तो चढ़ जाऊँगा; पर तुम्हारा तिरस्कार तब भी कर सकता हूँ ।” बस इस गुलाम ने दुनिया के बादशाहों के बल की हद दिखला दी । बस इतना ही जोर और इतनी ही शेखी ये झूठे राजे शरीर को दुःख दे और मार-पीटकर अनजान लोगों को डराते हैं । और भोले लोग उनसे डरते रहते हैं । चूँकि सब लोग शरीर को अपने जीवन का केन्द्र समझते हैं। इसलिए जहाँ किसी ने उनके शरीर पर जरा जोर से हाथ लगाया वहीं वे मारे डर के अधमरे हो जाते हैं; शरीर-रक्षा की गरज से ये लोग इन राजाओं की ऊपरी मन से पूजा करते हैं । जैसे ये राजा वैसा उनका सत्कार ! जिनका बल शरीर को जरा सो रस्सी से लटकाकर मार देने ही भर का है, भला, उनका और उन बलवान् और सच्चे राजाओं का क्या मुकाबला जिनका सिंहासन लोगों के हृदय-कमल की पँखड़ियों पर है ? सच्चे राजा अपने प्रेम के जोर से लोगों के दिलों को सदा के लिये बाँध देते हैं । दिलों पर हुकूमत करनेवाली फौज, तोप, बंदूक आदि के बिना ही वे शाहंशाह- जमाना होते हैं । ऐसे वीर पुरुषों का लक्षण अमेरिका के ऋषि अमर- सन ने इस तरह लिखा है :- "The hero is a mind of such balance that no disturbances can shake his will, but pleasantly, ५३।