पृष्ठ:सरदार पूर्णसिंह अध्यापक के निबन्ध.djvu/६०

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सच्ची वीरता was a n "I gem concealed, Me my burning ray revealed."2 ( वह लाल गुदड़ियों के भीतर छिपा रहता है ।) कन्दराओं में, गारों में, छोटी छोटी झोपड़ियों में बड़े बड़े वीर महात्मा छिपे रहते हैं । पुस्तकों और अखबारों को पढ़ने से या विद्वानों के व्याख्यानों को सुनने से तो बस ड्राइंग-हाल (Drawing Hall Knights) के वीर पैदा होते हैं। उनकी वीरता अनजान लोगों से अपनी स्तुति सुनने तक खतम हो जाती है। असली वीर तो दुनिया की बनावट और लिखावट के मखौलो के लिये नहीं जीते । īt is not in your markets that the heroes carry their blood too." "I enjoy my own freedom at the cost of my own reputation." हर दफे दिखाव और नाम की खातिर छाती ठोंककर आगे बढ़ना और फिर पीछे हटना परले दरजे की बुजदिली है। वीर तो यह समझता है कि मनुष्य का जीवन एक जरा सी चीज है । वह सिर्फ एक बार के लिये काफी है। मानों इस बंदूक में एक ही गोली है । हाँ, कायर पुरुष इसको बड़ा ही कीमती और कभी न टूटनेवाला हथियार समझते हैं । हर घड़ी आगे बढ़कर और यह दिखाकर कि हम बड़े हैं, वे फिर पीछे इस गरज से हट जाते हैं कि उनका अनमोल जीवन किसी और भी उत्तम काम के लिये बच जाय । बादल गरज २-मैं एक छिपा हुआ रत्न था, मुझे मेरी देदीप्यमान किरणों ने प्रकट किया। ३-चीरों के रक्त का मूल्य आपके बाजारों में नहीं लग सकता । अपने सम्मान का बलिदान कर मैं आत्म-स्वातंत्र्य का आनन्द n भोगता हूँ। १०