पृष्ठ:सरदार पूर्णसिंह अध्यापक के निबन्ध.djvu/६३

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सची वीरता वर्ष आग जलती रहे तो भी थर्मामीटर जैसा का तैसा ही रहेगा। बाबर के सिपाहियों ने और लोगों के साथ गुरु नानक को भी बेगार में पकड़ लिया। उनके सिर पर बोझ रखा और कहा-"चलो।" आप चल पड़े । दौड़, धूप, बोझ, मुसीबत, बेगार में पकड़ी हुई स्त्रियों का रोना, शरीफ लोगों का दुःख, गाँव के गाँव का जलना सब किस्म की दुख- दाई बातें हो रही हैं। मगर किसी का कुछ असर नहीं हुआ। गुरु नानक ने अपने साथी मर्दाना से कहा--"मर्दाना सारंगी बजाओ, हम गाते हैं ।” उस भीड़ में सारंगी बज रही है और आप गा रहे हैं । वाह री शांति ! अगर कोई छोटा सा बच्चा नेपोलियन के कंधे पर चढ़कर उसके सिर के बाल खींचे तो क्या नेपोलियन इसको अपनी बेइज्जती समझकर उस बालक को जमीन पर पटक देगा, ताकि लोग उसको बड़ा वीर कहें ? इसी तरह सच्चे वीर जब उनके बाल दुनिया की चिड़ियाँ नोचती हैं, तब कुछ परवा नहीं करते । क्योंकि उनका जीवन आसपासवालों के जीवन से निहायत ही बढ़-चढ़कर ऊँचा और बलवान् होता है । भला ऐसी बातों पर वीर कब हिलते हैं। जब उनकी मौज आई तभी मैदान उनके हाथ है। जापान के एक छोटे से गाँव की एक झोपड़ी में छोटे कद का एक जापानी रहता था । उसका नाम अोशियो था । यह पुरुष बड़ा अनुभवी और ज्ञानी था । उसे दीन और दुनिया से कुछ सरोकार न था। बड़े कड़े मिजाज का, स्थिर, धीर और अपने खयालात के समुद्र में डूबा रहनेवाला पुरुष था । आसपास रहनेवाले लोगों के लड़के इस साधु के पास आया-जाया करते थे और वह उनको मुफ्त पढ़ाता था । जो कुछ मिल जाता था वही खा लेता था। दुनिया की व्यवहारिक दृष्टि से वह एक किस्म का निखट्ट था। क्योंकि इस पुरुष ने संसार का कोई बड़ा काम नहीं किया था । उसकी सारी उम्र शान्ति और mar