पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/१६७

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सरस्वती। महाराज हरिया से लेकर शर्ययम्मा तक के बासे मालूम होती है। प्रासीरगामी माम दिये हुए है। पर, मुम्बरराजा लेग अपनी फैयल इराना दी णत हुआ था कि ' .. पूर्व-परम्परा का सफ ले जाते थे, इसका पता उस राजाधिराज था । पर इसका पता दि. से नहीं चलता था। प्रस्तुत लेख से यह पता चल ईश्वरया का पुत्र ईशानपामा : गया । प्रस्थपति राजा को घषस्थत यम से जिन कैसे हुमा, इसी लेन से चलता है। सा पुत्रों की प्राप्ति हुई उन्हीं पुषों के घंशज ये मुरार- टिक तथा गाइदेश जीसकर: initi राजे अपने को मानते थे। यम्यस यम के, तथा पिराज हुमा । ईशानया के विषय में । सो पुमों के उल्लम से इस प्रयापत्ति का पता लग महत्व की पात इस शिलालेय से यह सकता है । यह प्रश्यपति पदी मनराज दोना है कि यह मालय-संपत् ६५ में गए चाहिए जिसकी फम्या साविधी शाल्याधिपति एम. था। मास तक मीनरी लोगों का की। सेम के पुत्र सत्ययान को दी गई थी पार जिस काल निश्चयपूर्वक पात न था | मन कम्पा ने यम को मसल करके अपने पति को प्राण, का फाल फेयल अनुमान में जाना मा पशुर को राज्य पर पिता को सौ पुत्र प्राप्त कराये शिलालेखों के सिया ईशानया के एक थे। यह कथा महामारत फे यमपर्ण, प्रयाय २१३. भी मिले है। उनमें से अधिक ... १९. में है। उसमें सिलिगित रेाक है- जिल के मिटौरा गौप में मिले है। उनमें से हा पितुप ते पुररान मपिता पर मारी। घर्षसम्या । इस पलियुगादि मात्र मायाप्पा मारवा नाम साधता पुत्रीविषः । १६४५ पलिषर्प, अर्थात् ६०१ पिमम-संपन। इससे जान पता कि प्रध्यपनि फेमा पुत्र नया का काल निश्चित किया जाता था। मालप नाम से प्रसिद थे। इसी से यह भी अनुमान सिया एफ. पीर प्रकार से भी सगमा पारिफ किया जा सकता है कि मुनर-रामं भी मालय ही जाना जाता था । पिहले गुप्त रामामी में मेरा फदाते दोगे । माम्यो का गम इतिहास प्रसिद। सेन गुम का कारसयत् ११, प्रर्यान् पिन प्रथम-अमिर मागरी गता दरियमों के विषय ७१, शाहपुर के एफ.शिलालेग में पारा साना में यही माघात इस लेप से बात होती है कि यह इस प्रादित्यापेन के दाद के दादा गुमाए उपायामुप माम से भी प्रमित था । पर पिछले गुम ईमानपर्मा का परामय किया था। म न गमा के मुस-पुलर एण-गुम का ममपालीन राशामा फे राज्यपाल के १५ वर्ष पराश गा। यात मम्मय है कि हमा-गुप्त उसके प्रभीम घिनम-संयनशानया फाकाल माना जाता रहा । फरा-गरा की पुपी हर्ष-गुमा हरियम्मा के पर पत्र यद फार फंयन्द्र अनुमा ममता पुष प्रादित्यया का म्याही धी। प्रादिापयर्मा का पूर्णतया निदिधन हो गया । मौगी सीमा पुष रियामा जानपुर शिलारंग में मालयों का निस्ट समय ग पात में भी उमका माम । उसमें भी प्रामों का उम्मेष। दवा है कि दामों में मारपसागना. इस रंग- प्रारभ मागे उरोग मे यह प्रतु. लिया है। मान ताकि यह गभी शानपम्मा ही का यह सपफोरपारप मे मदतकार देगा। जानपुरका ऐगकंघम प्रन्तिम हनीपत। ६१, शानयमों का प्रतिम गया सानपा विषय में इम मंग में पहत मियप में मीनरी गामा