पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

..... चंद्रमुखीकरण + .. .. 7.4 NAT 147 - मुनिए ! } सुनिए ! , दोमन रमन पापा पिमा. यती शवदार हीरा !! पन्ना! फसी की पद से गिमायत के पर मदरसार पर मत कीजिय० रमाकान्त पास, मैं बनाकर अभी रामपंच फटग, प्रयामा ए हो । मी रपाना की मैगा कर परीक्षा कर है। सात किम पदम पार पदर -परि प्राप , मिरपूमा पर मम कर दाने हो, मरिठक की गम्कामोरी पनि से. स्पाद गंगन भी पार जब किमी तेल सप्तामा तो मम गुस्ताव पालकी झिये हि सिर्फ व्यसनापामा "हम. मानि मर्ग मागर रीत"दी समीर पा. दामाग्री ___यदि पधित प र मानसिक परिधम : माफिक मुलायम और पादत माती जिस्म Ham से .उस की प्यारी सरनाम गती है, मा दिममागरम से मस्तिर सीतला माता के दाग, पानी पार गास्पार उपयोगा। पर्टी में मादी मात मिमटे में पाग, मारपछरिया मुलासे मारपमरापर समझ मोयगे। दाम । पंसी पाणी पाजीरा दी . :-पाटिक - Fru प्रापुर माफिक पमरमे तामारीक पदरी पागा पामरा । रंगारपती एस पवादातीमेशा -पी अपना मतमपम की झापम पती पदपा पोरामाजिरी दो, भायन वाद या पेट फणसाकी बाजारी प गार पड़ी पड़ी। सपर मचम्दाना दो. काम ह री पमहीर संतापनी माया को पम्मू- पपा पागर पटी मंगा रोपकारिय। नदी रिती रिम में ५. गाभाग भुमी बगना मारो अपप मैन्यापे। कमान को पालोरर पा. साप मरीया रिमा पत्र पारसन गो मा। मंगपारगिरे। मिभनेपा- सा मेमे गाला- रमेगचंद्र ऐण्ड को पं. रमाकान्त व्यस. राजयन व्यापार (Rate) मधुरा। m-मारा