पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३६

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सल्या!] माहिप्मती-निर्णय । अंधेरे गले में गिरावा हापा, में सहदेष का दक्षिय-दिम्बिमय-यर्णन है। उसमें दया की, मुझे दीति की भार फेरा। लिया है कि किष्किन्धा से- दुई सत्य सत्ता सपं मिद तेरी, ततो एनाम्युपापाप पूरी माहिती या ! मरे भक्ति के भाष, भागा घेरा। इससे विल्सन साहम ने अनुमान किया गि. जगा हूँ नया भीवनाशीक पाळे, माहिष्मती मासोर होगा। इस साइष मे भी इटी मोहनिया, आई सबेरा।। अपनी-माइसौर-नामक पुस्तक में यही लिया है। मंपिलीशरण गुप्त । मापने एक पार मी ममाप इस विषय में दिया है। यह यह कि कायेरी नदी को पार करके सहदेव मादिप्मती गये थे। पर यह धर्मान महामारत की माहिप्मती-निर्णय।। वटुत सी प्रतियों में नहीं है। इस लिए इसे प्रमाण महीं मान सकसे । इसके मिया महाभारत में लिये PAAY Aष-यश का निरूपण करते समय अनुसार माहिप्मती में नील रामा फो जीत पर PMER ममे लिया है कि "माज कल THAN या। सहदेष मे भिपुरनगर सीता था। यह पिपुरनगर अहाँ पोङ्कारेश्यर महादेय का सप लोगो के मतानुसार जबलपुर जिले के लेयर म स्थान है यहीं राजा महिप्मत् गांव के पास था। अर्थात् माहिप्पती भी कदा की राजधानी माचीन मादिप्मती समलपुर मिले के ही पास होगी, माइनार महीं मगरोधी"। इस पर घार-निवासी श्रीयुत मन्द- हो सकती। मिशोर विधीमी में पाप किया है कि माहिप्मती " पर्नल स्टीमन सया कनिंगहम साक्ष्य में फरगना नगरी पहारेभ्यर नहीं, महेश्वर है। इस सेग्न में प्रम की थी कि मण्डला, ओ मध्यप्रान्त में है, माहिती ही इस यात का निर्णय करना है कि मादिप्मती ।

माइमता होगा । पर यह सर्वमान्य नहीं हो सकता, क्योंकि

पाहारेयर है या महेभ्यर। इसके लिए कुछ मी प्रमाण नहीं दिया गया। यह यास सम लोगों पर थिदित कि प्राचीन तीसरा मत यह है कि मादिप्मनी मटेयर है। स्पानी के निर्णय करने का काम अस्पन्त कटिम है। कर्नल पिल ने अपने "एशियाटिक रिसर्च" इस किं-युग में, जम दर पात के लिए "पयों" यत- (Asiatic Re-cirche-) में यही लिग पार लाना पड़ता, या किसी के फपन पर लोगों सीरियल गजेटियर में भी इसी का अनुयाद किया का पिण्यास नहीं जमता । सब पात फे प्रमाण गया है। महेयर के रहने पाले इसी को मालिप्मती गेमने पदत ६ पार प्रमाया के अनुसार ही निर्णय मामते हैं। कर्नर टार ने अपने राजम्यान में कमी करना पड़ता है। पुराताय-पिपयफ शारत का ओ मत का उटेप किया है। पाप लिग किमयर कुछ आम मुरे ६ उमके अनुसार में पाठको के के पास "मामशाद फी पस्ती" मामप, एक घाटा सम्मुप प्रमाग्न उपस्थित करता है। निर्णय करना सा गाय भी है। मत्तनिपानांमफ. पानी प्रग्य उन्दी का काम दे, मेरा मदी। फा भी प्रमाण इसकी पुष्टि में दिया जाता है। म मादिप्मती निर्णय के विषय में पुरातत्यमों में प्रग्य में पर्मन किया गया कि पफ पार मिनु मतभेद है। पहला मत याद रिमादिप्मती 'गोदापरीतीरम्प' पनिान में मादिम्पती मारसार । महाभारत, समापर्य, के ३१ प अभ्यय गया पार पहा में उग्मी की। प पनिहान