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पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/४०२

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. संस्था ] - हिन्दी का काम कान सेंमालेगा! २४१ कुछ भार अपने ऊपर न लेते तो भारत में पढ़े हीन पेशे को दी पसन्द करता है। मेरी लिया की संभ्या पटुत ही फम-अंगालो राय में ये पकील ही भारत को गारत पर गिमर्न लायक होती । मुझे मापफे काम कर रहे पौर मुखमरी फेला. रहे हैं। मुझे से पूरी सहानुभूति है"। माशा है कि ग्राप मेरी राय से सहमत साहप-"इसके लिए पापको धन्यवाद देता हुआ होगे। जय दम अपने स्कूल की पढ़ायेंगे में यह कहना चाहता है कि इतने पर भी तय अवश्य ही सबसे पहले मापसे सदा. हिमुस्तानी लोग हमसे पड़ी पण करतं यता पाने की प्राशा बम्बम"। है। यह पाप्त हमसे छिपी नहीं है" बापू-कुछ घधरा फर)-"क्या प्रय पाप प्रेजुएट वायू-"अधिकतर हिम्युस्तानी बेयफ है। उमको को न रखना चाहेंगे।" सभ्य भनामा पाप असे महानुभावों ही का साहतीम तथा भापक हएि से बाद की पार काम है । सम ये पद-लिम्न जायंगे तब देखते हुए) "भमा पचीस रुपये में तप-तप-" प्रेजुएट !" साइप-"पापकं विचार बड़े रथ तथा उदार है। बाबू-साधते हुए) "प्रापका कहना ठीक है। पापकी इस राय के लिए मैं पम्ययाद देता हम लोगों में स्थार्थत्याग का जरा भी मादा है। मापकं असे भारतवासी, अगर चाहे नहाँ। मेकिन मैं चाहता है कि इस शुम तो. उस मनमुटाव को महुस कुछ दूर कर काम में प्रापका साय। प्रतपय प्रगर सफरोमा पापके देशपाले केहदयों में प्राप तीस रुपये भी ता-" हमारी पोर से विधमान है"। साहब-"हम भापको नीस रुपये दंगे। एफ वाद-"हमने पुमा था कि पाप अपने साल में रुपया मुझे अपनी पाकट में देना पड़ेगा, पक मंग्युपट रसमा चाहते हैं। मैं चाहता क्योकि मिशम से कयन्त ३५) की ही हैं कि इस घिपय में प्रापकी कुछ सहायता मंजरी है। हम गरीध है-" करने का सौभाम्प प्राप्त कर सहूँ" बाद-"यह घेतन मा पहुत ही पड़ा है। प्रसि साइप--"पर, हम अभी उतना येवन नहीं दे सकते रुपये से कम महा-' जितना कि प्रेन्युएट मांगते हैं। हमारे यहाँ साहब-"अण, प्रेर, हम प्रापको सत्ताईस पप तो पपीस रुपये महीने की एक जगह दंगे । इससे अधिक की गुंजायस महीं। खाली है। अगर आपका कोई एफ० ए. हमें मापसे पर कुछ सहायता की भाशा पास मिप तो बताइए । क्योंकि इस है। इस स्कूल को अपना ही समझिए । पेतन में पी० ए० महीं मिट सकता। अगर यह कहते कहते पादरी साहम कुरसी के तकिये पढ़ाने का कुछ अनुमय रणना हो तो पर से पीठ उठा कर अपने पर, पैठ गये, पार पुर्ण एफ. ए. फेल भी हम रप सकते हैं"। का सिन्टमिता जारी रखते हुए उन्होंने अपनी साप- माप्-"मेरा इरादा है कि मैं किसी स्कूल में शिक्षक हरिरूपी कुम्जी में बात की दय-कोठरी पोस मी, का क्यम कर"। पार उसमें पया पया सामान है. यदयपर मन ___सा--"प्रापका इरादा यात प्रप्या है। पान ही मन मुसम्पपे। काम जिसे देना पही पिकालत के समान कोसरिर ने अपने चहरे पर विधार-साता ।