पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/५२

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संख्या १] मिस्टर दादामा मौरोगी। २२ "रामस्मान में इस विषय में गे लिखा से नीचे ग्बत तोमी समी पगाये दांव रोप पन पर, से इस मेयो समाप्त करता है- हर एक दिन पुखापेवता भवन पर ।।।। " मे एक प्रमूम्प रप में अपने पदप से बगा कोई प्रकास कोई भूपम्प की पानी ममी पा की है। मगर यवन-पिता के दिग्वाही मा कर हमें सुमाता पोस दीन बानी । प्रमि से जिस समय भारत के भाजारों की प्रग्यावती भस्म बोई बनता धन-हीन का कसापा, हो रही थी इस समय न मे ही उसकी रक्षा की पी। पोई पुकारतान माय धर्मग्रामा ! - पर शामन और मपर अत्याचारों को सान करके मी पदि एक रोष्ठता है मनमोस भापपारप परम पार्मिकों ने अपने प्रगपरयों को पाया है। तो दूसरा मातापि वाचनगमप। मुनि दिनविश्य (पारन ) . मात्र पाना भी फीस धान का इस पोर जल-परी रस पोर महामत ॥ ॥ धनी का संकट । हर एकर तरह से इमग सता रहा, करगप पापो सो जमा किये है। बातें बना बमार यादी मुना । हम नी सारी मान कर दिपे। गोश पड़ी जो एम दान ब , अपने असल्य पान र म प्रास पसे, फिन नाम ये हमारा चाहे कमी म ! सापार रात-दिन में यह कोप देते .॥ मुप-मन पर अपना दम संत होप दामी ! सम्पूर्ण कामना इस बार में हमारी सुनते रहै पड़ों की गिर-चारमी कहानी! परिपूर्ण हो रही है सुस-पन भोग मारी। पर विधष पाले दान भी सकती। अपरातमो मो में दम मिल्य मागते ६ धौ दान-मान का मो संयोग पासम्म.. पिर पार दिन पो पर निम से स्यागते . परदास । मति दिन नवीन मोजन स्वादिष्ट और अमे. दम मित्र सहित पाते हैं मम से बिरामे । दो बार मरते दम निस्य मगर मिस्टर दादाभाई नौरोजी। इस रात्रशा में माते अनेक ता॥ पे पग सपूर पर मखमरी मही पर, Malas दाभाई नौरोजी का जन्म ४ सित. निपको बा से है पानी पर। म्पर सन् १८०५ ईसयी को निबाप से गाते दम भी नहीं पम्पई में छपा था। भाप फा मुमार इन में क्या पार कर दी.. ANTEERS घराना छः सदी में पुरादिनी निम मेरा बहेको स्वामी सरकते फरता पाया था। पल दास दोन पोखमे में परगरपाते। . गाई ही में उस गाफर राजनैतिक क्षेत्र में पदार्पण पर परम परिममगर हम प्रत पोते किया । परिणाम यह हुमा कदादामा की कीर्ति तर इत्र से हमारा तमासभिग्ते 11 फी पताकर माम सम्पूर्ण भारतवर्ष में फदरा रही मुप- बमारा यौन बीवना, ६। इतना ही महीं, पिलायन में भी पाप का माम पा माप पुराना बाप रमता है। प्रायः प्रत्येपा शिक्षित प्री-पुरारातादादाभा •मा प्रेग रिपने में पम्ने भोयुत रिमयमा मिस समय पर, उमा पितास हाम्न दो एम.ए. से मार स हिए म गया था। इससे उनही शिसा, तपा पाटनगर रनगर का भार उनकी मागा पर पड़ा। पर्याप माता *