पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/५४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सरस्थती। . . [ माग चन्द्र पिपासागर अविरल परिश्रम करने पर भी सिपा यूरोप के पपसायियों में भी प रामर पिपयायियाह का याचारहित प्रचार प्रारिसर म फर परले दी से अपने घरेपणे प्रमामा शुरु कराव पापे । राममोहम पय सती प्रथा को कुछ ही दूर था। इसके बाद कोई दो सौ पर्प तर मात मित्र, सफ मन्द कर सके । दयानन्द सरस्थती मे भी मिन्न जातियों पयुद-क्षेम पमा रहा । १eaning अपने मत के प्रचार के लिए पारा भ्रम किया। मधु- सपा तक सिपम्र, मरदटे, पजपूत, जाट, गट सूदन ६ मे जिस समय पहले पदल अंगला में फ्रेंच, पोर्तुगीज, रस रस्यादि जातियों की तसती, ममुकाम्न फषिता (IBlank Terer) की मृति की दी धदाया यह समय भारतपर उस समय लोग उन्हें पागल तक पदमे सगे। सचमुच ही पा सरदारी था। हिमालप मे : मतरम यह है कि जिसमें उत्साह की मात्रा मितनी पुमारिका पसरीप एक युर-पिप्रह, पार दी ज़ियादह या फम थी, सफरूमा भी उसे उतनी प्रशान्ति, स्यार्य-सिदि सिपा पार पमरे ही मिटी । विन-पापा का प्रतीकार पर भी पड़ता था। जातीय सम्मति-अपनरी, शान, मनुप्य-समाम जीरिम रह समता है। पर यदि वि. भादि किसी की मार वि.सी का पाममा पापा के बदले उत्साद मिसे तो मागृति शीप पर उस समय के सरे माग की पात पब प्रधिको सकती है। भाग का पर्मम मुनिप- बदुरा लोगों का मत है कि मनुष्य के मीरत सिपाही-पिलोद के पाद भाग्यपर्प में गणि. कार्य में अब बाधायें उपस्थित होने लगती स्थापित भारतवर्ष में प्रिटिश शासन की मार तय पद पापा दठी पनने लगता है-पर दुराप्र. धीरे धीरे समगई। मामा-भासम, प्रमा-पानन, म्याए । दी दो साता है। पर एठी यमना पार पात ६, पैयं निरूपण के साथ साथ प्रगा की शिक्षा का मारी . पर हदसा-पूर्वक प्रपने अरिए कार्य की सफारसा मिटिका जाति में प्रदरिया । तर प्रा पर लिए सपन्न करना पर पात | राम के बादशाए स्पित दुमा शिशिधापनप्ति में कुछ परियर एम. भागस्टस के ममप में रामन मेोगों मे जो उपति की धादिप प्रपया मदौ । एप पर बहुत पुरा पी,पिमामादिश्य मोसमय में माररा में उपसि पियादी पोस्पिर दुण मिपसित . . रंधी, पनमापेप समय में मर जातीय फारसी, संसल की जगए मंगली इतिहास में गा बमारियां दी थी असार मुख्य माय । उस समय से पर या गरेकी कारप गया की सदानुभूति पी। भारमपासी शिक्षित वादानिक भारतीय पारपिप दिन से पाश ता. सानिमा-समाधाना-प्रपन गया समय पो दम तीन मार्गों में बाट साताएक पर्व से सो पगात प्राम:' होगह समय आगम-माप्रायपोर पोर दोष पिय में कमर Manाnिt. हारहार में अपनी पारदर्शिता. या गहरा प्रारम का पा प्रमिस, भग्मांपता पारि कार मगना समे देश-पासपी की शिना, प्राचार-Aunt शिकीगीरदीपद में महारा- प्रारमेन परिणाम प्रगत of गाना में रात पर मासपुर के जाट, मा. रिपार में पाप। भारा . रपयले धार पम्मा रेमियोगी भगती Ht शाइनर मेरी भी माम्मानित fr: मिग्नसमा पात सी पर लमे दी पोरे ममय में मलि.'