पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/९१

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1. सरस्वती। , ...............................! यह सपाल'म कीजिए । इसमें कुछ भेद है। पीर उभरी हिन्दुस्तान में घूम फिर र माया सो कुछ प्राप चाहें पूछ सकते है। . . दक्षिण के लिए रवाना हुए। इस समय ने . घसीटेमा । उस्ताद का माम बताने से प्राप इनकार माल्म होने लगा था कि मुसलमानों के पयों करते है१.नाम बताने में हर्म ही क्या है? हिन्दुर्गा की सहीत-विधा म.धिकार स्य मासाश । माम यतामे से मेरा पड़ा हर्ज है। उसमें एफ ६६ तक प्ररप पार पारिस की मार बताने से सीत-यिया में मेरी उमति न हो कला का मियम हो गया है। इस कार माता सकेगी। रहने दीजिए, माप मेरे. उस्ताद का नाम में सोचा कि दक्षिण घठ कर देगना चाहिए न पूछिए । यहाँ इस कला का क्या हाल है। महो जात घसीटेखा । मैं पापका गाना सुन पर बहुत ही मालारश की मालूम हुमा कि उनका सदर वश दुपा। आपके उस्ताद पाप से भी पढ़े-बढ़े ठीक था । घिदश फे सङ्गीत में पाi गर्यपे होंगे। कुछ भी दे, पापफो उनका माम फारिस की कन्या का मिश्रण महीं। पर बताना ही पड़ेगा। असली रूप में है पार उत्तरी दिन्दुस्तान की मा मालारा । बहुत अच्या, मुझे पापकी पाशा कला से बड़ी घड़ी है। . . माम्य है । पर, पापका भी मुझ से एफ यादा फरमा रतने में माइसोर दरबार की सबर सम्प पहेगा। पद यद किमाम पताने से प्रार मेरे उम्साद उतरी भारत से एक या मामी गया पर मुझ से नाराज हो जाये तो पापको मेरी मदद दरपार में मालारा का गाना हुआ। उमे फरनी पड़ेगी। फर भोता लोग प्रानन्द के प्रतिरेक से मात्र । घसीटेगा । मुहरे मजर है। मैं आपकी मदद भारतीय सङ्गीत-शास्त्र के अनुसार उमा गायनकला बास पिशुस थी। उसकी जैसी मीलारस । मेरे उस्ताद का नाम घसीटेग्रा है। यता मालाम्दा के सहीत फी न थी। मा घसीटा। मैंने तो एक दफे के सिया पार मालापस्ता का गाना अपने रंग का प्रतिनीय । कमी भापकर देगा भी नहो। मैं कैसे प्रापका मतीजा यह हुआ कि माइसार-दरबार में मामाः उस्ताद ही मरता है। का सिलपत दमे का निश्चय किया । उसो । - इस पर मालायरमा में अपना फपा हाल यह एक दिन भी लिया गया परन्तु समोर ममाया। तय नावार होकर पसीना का पना दी एफ दिन मालारा ने सुना कि मामदा यादा पूरा करना पड़ा । उस दिन से पह मामा के पशी की 'मी योगा पजाने में । सो गामा सिंग्याने मगा। . प्रयोग हम कारण ये उसका पीनपाइन उदी माल के पाद मौलापस्ता मामी गयेये के लिए गये। उमका पीरण पजाना मुन हो गये । उस्ताद घसीटंग कोरस कला र सिममा मानन्द में मात दी गये। सड़की में उन्होंने प्रात मान था या मप उम्होंने माप्त कर लिया। उस्ताद की कि पाप मुने प्रपमा मागिय मना समि मरने के बाद भी उन्होंने हम पहला की उन्नति पान्तु लरकी मे कहा-प्राधम के मिया प्रारी मारी पीजहां रिमी प्रमो गये का हास्ट को यह विणा मही निगा परती। गुम मुना पही ये पहुँ। मगर कोई नई भात उसमे मीगनानी मर कर किसी प्रामाल पहा: पाईनो उमे मीम्प लिया। मोस उतको गुन पर. मानामा को। करगा।