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सर्वोदय

है तब नौकर का काम जितना होना चाहिए उतना नही होता,पर सच्चा नियम तो यह है कि दो समान चतुर मालिक और दो समान नौकर भी लिये जायँ और तब हम देखेंगे कि सहानुभूति वाले मालिक का नौकर सहानुभूति-रहित मालिक के नौकर की अपेक्षा अधिक और अच्छा काम करता हैं।

कुछ लोग कह सकते है कि यह नियम ठीक नहीं है, क्योंकि स्नेह और कृपा का बदला अनेक बार उलटा ही मिलता है और नौकर सिर चढ़ जाता है, पर यह दलील ठीक नहीं है। जो नौकर स्नेह के बदले लापरवाही दिखाता है, सख्ती की जाय तो वह मालिक से द्वेप करने लगेगा। उदार हृदय मालिक के साथ जो नौकर बद्दयानती करता है वह अन्यायी मालिक का नुकसान कर डालेगा।

सार यह है कि हर समय हर आदमी के साथ परोपकार की दृष्टि रखने से परिणाम