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सर्वोदय


का उपयुक्त समय कोन-सा है,यह प्रश्न व्यापारियों तथा दूसरे सब लोगो के लिए भ॑ विचारणीय है।जो मनुष्य समय पर मरने के तैयार नहीं है वह, जीना किसे कहते है,यह नही जानता । हम देख चुके दैकि व्यापारी का काम जनता के लिए जरूरी सामान जुटान हैं। जिस तरह धर्मोपढेशक का काम तनख्वाह लेना नहीं,बल्कि उपदेश देना है, उसी तरह व्यापारी का काम नफा कमाना नहीं, किन्तु माल जुटाना है। धर्मोपदेश देने वाले को रोटी ओर व्यापारी कोनफा तो मिल ही जाता है।पर दोनों मे से एक को भी कास तनख्वाह या नफे पर नजर रखना नही है ।उन्हे तनख्बाह या मुनाफा मिले या न मिले फिर भी अपना काम अपना कत्तंग्य करते रहना ही है।यदि यह विचार ठीक हो तो व्यापारी को ऊँचा दरज मिलना चाहिए, क्योकि उसका काम बढ़िय माल तेयार कराना और जिससे जनता का ला