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सच्चाई की जड़

हो उसे प्रकार उसे जुटाना, पहुंचना है। उसे काम में जो सैकड़ों या हजारों आदमी उसके मानहत हो उसकी रक्षा और बीमार होने पर दवा इलाज करना भी उसका कर्त्तव्य है। यह करने के लिए बहुत धीरज, बहुत स्नेह-सहानुभूति ओर बहुत चतुराई चाहिए।

भिन्न-भिन्न काम करते हुए औरों की तरह व्यापारी के लिए भी जान दे देने का अवसर आवे तो वह प्राण समर्पण कर दे। ऐसा व्यापारी चाहे उसे पर कैसा ही संकट आ पड़े, चाहे वह भिखारी हो जाय, पर ना तो ख़राब माल बेचेगा और ना लोगों को धोखा ही देगा। काम करने वालों के साथ अत्यन्त स्नेह का व्यवहार करेगा। अक्सर बड़े कारखानों या कारोबार में नवयुवक नौकरी करते हैं। उनमें से कितनों को घर-बार छोड़कर दूर जाना होता है। वहां तो मलिक को ही उनके मां-बाप बना होता है। मालिक इस में विषय में