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सर्वोदय

दूसरों की तरह कडी मेहनत करके ही गुजर करना पडेगा| ऐसी अवस्था में अधिक आदमी सोना-चॉदी एकत्र करना पसन्द न करेगे| गहरा विचार करने पर हमे मालूस होगा कि धन प्राप्त करने का अर्थ दूसरे आदमियो पर अधिकार प्राप्त करना--अपने आगस के लिए नोकर व्यापार या कारीगरी--मेहनत पर अधिकार प्राप्त करना है। और यह अविकार पडोसियों की गरीबी जितनी कम-ज्यादा होगी उसी हिसाव से सिल् सकेगा |यदि एक चढ़ई से काम लेने की इच्छा रखनेवाला एक ही आदमी हो तो उसे जो मजदूरी मिलेगी वही वह ले लेगा। यदि एसे दो-चार आदमी हो तो उसे जहां अधिक सजदूरी मिलेगी वहां जायगा। निचोड यह निकला कि धनवान होने का अर्थ जितने अबधिक आदमियो को हो सके उतने को अपने से ज्यादा गरीबी से रखना है। अर्थशास्त्र अनेक बार यह मान लेते है कि इस तरह लोगो