पृष्ठ:सर्वोदय Sarvodaya, by M. K. Gandhi.pdf/४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४०
सर्वोदय

आदमी ठीक तौर से माल लाये व ले जाय तो सबको लाभ होगा, पर मान लीजिए कि यह आदमी माल लाने लेजाने मे चोरी करता है। बाद को सख्त जरूरत के समय यह दलाल वही चुराया हुआ अन्न बहुत ही महंगे भाव उनके हाथ बेचता है। इस तरह करते-करते यह आदमी दोनों किसानों को भिखारी बना देता है और अन्त में अपना मजदूर बना लेता है।

ऊपर के दृष्टान्त में स्पष्ट आज के व्यापारियों का यही हाल है। हम यह भी देख सकेंगे कि इस चोरी की कार्रवाई के बाद तीनों आदमियों की सम्पत्ति इकट्ठी करने पर उससे कम ठहरेगी जितनी उस आदमी के ईमानदार बने रहने पर होती। दोनों किसानों का काम कम हुआ। आवश्यक चीज़ें न मिलने से अपने परिश्रम का पूरा फल वह न पा सके। साथ ही उस चोर दलाल के हाथ चोरी का जो

लगा उसका भी पूरा और अच्छा उप-