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सर्वोदय


काम करता है। इंग्लैंड में अनेक स्थानों में लोग घन से भुलावे में नहीं डाले जा सकते। यदि हम मान लें कि आदमियों से काम लेने की शक्ति हीधन है तो हम यह भी देख सकते हैं कि वे आदमी जिस परिणाम में चतुर और नीतिमान होंगे उसी परिणाम में दौलत बढ़ेगी। इस तरह विचार करने पर हमे मालूम होगा कि सच्ची दौलत सोना-चॉदी नहीं बल्कि स्वयं मनुष्य ही है। धन की खोज घरती के भीतर नही, मनुष्य के हृदय में ही करनी हैं। यह बात ठीक हो तो अर्थशाश्र का सच्चा नियम यह हुआ कि जिस तरह बनें उस तरह लोगों को तन, मन ओर मान से स्वस्थ रक्खा जाय। कोई समय ऐसा भी आ सकता है जब इंग्लैंड गोलकुण्डे की हीरों से गुल्ञामो को सजा करके अपने वैभव का प्रदर्शन करने के बदले, ग्रीस के एक सुप्रसिद्ध मनुष्य के कथनानुसार अपने नीतिमान महापुरुषो को दिखा कर कहे कि|

“यही मेरा धन है?”