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दौलत की नसें

जो कल आपका सर्वस्व हड़प कर लेगा? या किसी ऐसे सिपाही को जो आपके बैंक पर धावा बोलने वाला है? संभव है कि इसमें से एक भी प्रश्न का उत्तर आप अभी नहीं दे सकेंगे क्योंकि आपको इसका ज्ञान नहीं है। पर आपने अपनी रोटी उचित मूल्य पर नीति पूर्वक बची है या नहीं, यह आप बतला सकते हैं। ठीक न्याय होने की ही चिन्ता रखना आवश्यक भी है। आपके कारण किसी को दुःख ना हो, इतना ही जानना और उसके अनुसार चलना आपका कर्त्तव्य है।

हम देख चुके हैं कि मूल्य उसके द्वारा लोगों का परिश्रम प्राप्त करने पर निर्भर है। यदि मेहनत मुफ्त में मिल सके तो पैसे की जरूरत नहीं रहती। पैसे के बिना भी लोगों की मेहनत मिल सकती है, इसके उदाहरण मिलते हैं। और इसके उदाहरण तो हम पहले ही देख चुके हैं कि धन बल से नीति बल अधिक