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प्रस्तावना

जरूरत भी समझते हैं; पर इसमें सन्देह नहीं कि पश्चिम की बहुत सी रीतियाँ ख़राब हैं। और यह तो सभी स्वीकार करेंगे कि जो ख़राब है उससे दूर रहना उचित है।

दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों की अवस्था बहुत की करुणाजनक है। हम धन के लिए विदेश जाते हैं। उसकी धुन में नीति को, ईश्वर को, भूल जाते हैं। स्वार्थ में सन जाते हैं। उसका नतीजा यह होता है कि हमें विदेश में रहने से लाभ के बदले उलटे बहुत हानि होती है, अथवा विदेश यात्रा का पूरा-पूरा लाभ नहीं मिलता। सभी धर्मों में नीति का अंश तो रहता ही है, पर साधारण बुद्धि में देखा जाय तो भी नीति का पालन आवश्यक है। जान रस्किन ने सिद्ध किया है कि सुख इसी में है। उन्होंने पश्चिम वालों की आँखें खोल दी हैं और आज यूरोप, अमेरिका के भी कितने ही लोग उनकी शिक्षा के अनुसार चलते हैं। भारत की जनता भी उनके