पृष्ठ:सर्वोदय Sarvodaya, by M. K. Gandhi.pdf/९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
सर्वोदय

विचारो से लाभ उठा सके, इस उद्देश्य से हमने उक्त पुस्तक का इस ढ़ंग से साराश देने का विचार किया है जिसमे अंग्रेजी न जानने वाले भी उसे समझ ले।

सुकरात ने, मनुष्य को क्या करना उचित है इसे संक्षेप मे बताया है। कह सकते है कि उसने जो-कुछ कहा है, रस्किन ने उसीका विस्तार कर दिया है—रस्किन के विचार सुकरात के ही विचारो का विस्तृत रूप है। सुकरात के विचारो के अनुसार चलने की इच्छा रखनेवालो को भिन्न-भिन्न व्यवसायो मे किस प्रकार व्यवहार करना चाहिए, रस्किन ने इसे बहुत अच्छी तरह बता दिया है। हम उनकी पुस्तक का सार दे रहे है, उलथा नही कर रहे है। उलथा कर देने से, सम्भव है, बाइबिल आदि ग्रन्थो के कितने हो दृष्टान्त पाठक न समझ पाये। इसीसे हम रस्किन की रचना का सार मात्र दे रहे है। हमने पुस्तक के नाम का भी