पृष्ठ:सह्याद्रि की चट्टानें.djvu/१३७

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की तीर्थयात्रा से हाल ही में लौटा हुआ काशगर का सिंहासन-च्युत । बादशाह ठहरा हुआ था, शिवाजी के आक्रमण से बच रहे । फ्रांसीसियों ने बहुमूल्य उपहार देकर मराठों को प्रसन्न कर लिया। अंग्रेजों व तातारों ने दिन भर वहादुरी से मराठों का सामना किया। अन्त में तातार लोग अपने बादशाह को लेकर किले में भाग गए और उनकी सारी वहुमूल्य सामग्री मराठों ने लूट ली । अन्त में तीन दिन तक लूटमार तथा आग लगाने के काण्ड करके तथा आधे शहर को जलाकर: राख करके और ६६ लाख रुपया नकद लूटकर शिवाजी सूरत से लौटे। भारत के सबसे धनवान वन्दरगाह का सारा धन चौपट हो गया और शिवाजी और मराठों का आतंक ऐसा फैला कि जब-जब मराठों के आने 'की झूठी-सच्ची अफवाहें नगर में फैलती, सूरत नगर भय से आतंकित हो उठता। व्यापारी लोग हड़बड़ा कर जल्द-जल्दी अपना सामान जहाजों पर रखाते, नागरिक गाँवों को भाग जाते और यूरोपियन व्यापारी. सुआली पहुँच कर आश्रय लेते थे। इस प्रकार मराठों के आक्रमण और लूट के आतंक का ऐसा प्रभाव हुआ कि उनके भय से सूरत का सारा विदेशी व्यापार पूर्णतया लुप्त हो गया । 4 ५० मुस्लिम धर्मानुशासन इस्लामी धार्मिक असूलों के अनुसार प्रत्येक मुसलमानी राज्य की नीति धर्मप्रधान होनी चाहिए । सच्चा बादशाह और अधिकारी एकमात्र खुदाताला है । और बादशाह खुदा का प्रतिनिधि । इस हिसाब से बाद- शाह का यह कर्तव्य है कि वह ईश्वरीय नियमों का सब प्रजा से पालन कराए। इस नीति का दूसरा व्यावहारिक स्वरूप यह बन जाता है कि १३५