सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:सह्याद्रि की चट्टानें.djvu/१४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बढ़ चला। सिपाहियों के घोड़ों ने भी बहुतों को रौंद डाला । जब यह खबर चारों तरफ फैली तो हिन्दुओं में रोष की ज्वाला धधक उठी। शिवाजी ने औरंगजेब को एक खत लिखा- "मैंने सुना है कि मेरे साथ युद्ध करने के कारण खजाने खाली हो जाने से तंग आकर हुजूर ने हिन्दुओं पर जजिया नाम का कर लगा दिया है ताकि शाही खर्च चल सके । जनावे आली, जलालुद्दीन अकबर बादशाह ने ५२ वर्ष तक पूरी शक्ति के साथ राज्य किया। उसने ईसाई, यहूदी, मुसलमान, दादूपन्थी, फलकिया, मलकिया, अन्सारिया, दहरिया, ब्राह्मण और जैनों के साथ समान व्यवहार जारी रखा। उसके हृदय का भाव यह था कि सब प्रजा प्रसन्न और सुरक्षित रहे । इसी कारण वह 'जगद्गुरु' नाम से विख्यात हो गया था। "उसके पश्चात् बादशाह नूरुद्दीन जहांगीर ने दुनियां और उसके निवासियों पर २२ वर्ष तक अपनी शीतल छाया फैलाए रखी । उसने अपना हृदय मित्रों को और हाथ कार्य को सौंपा, जिससे उसे हरेक अभीष्ट वस्तु प्राप्त हुई । बादशाह शाहजहाँ ने ३२ वर्ष तक राज्य किया और अनन्त जीवन का फल प्राप्त किया, जो नेकी और यश का दूसरा नाम है। "परन्तु हुजूर के राज्य-काल में बहुत से किले और सूबे हाथ से निकल गए हैं, और शेष भी निकल जाँयगे, क्योंकि मेरी ओर से उनके नष्ट करने में कोई कसर न छोड़ी जायगी । आपके राज्य में किसान कुचले गए हैं, हरेक गांव की आमदनी कम हो गई है, एक लाख की जगह एक हजार और एक हजार की जगह दस, और वह भी बहुत कठिनाई से वसूल होता है। "हुजूर, यदि आप इलहामी किताब और खुदा के कलाम पर विश्वास रखते हों, तो देखिये वहां खुदा को रब-उल-आलमीन ( संसार भर का खुदा ) कहा है, रब-उल-मुसलमीन ( मुसलमानों का खुदा ) नहीं कहा । 4 .१४२