पृष्ठ:सह्याद्रि की चट्टानें.djvu/३४

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"कल्याण के हाकिम मुल्ला अहमद का भेजा हुआ एक भारी खजाना इसी मार्ग से बरार जा रहा है।" "कितना खजाना है ?" "पैतीस खच्चर मुहरें हैं।" "मेना कितनी है ?" "पाँच हजार।" "वीजापुरी सेना इस समय कहाँ है ?" "वह लोहगढ़ में महाराज पर आक्रमण करने के लिए सन्नद्ध खड़ी है।" "जाओ तानाजी मलूसरे को भेज दो, और स्वयं यह पता लगाओ कि खजाना आज दो पहर रात तक कहाँ पहुँचेगा ?" "जो आज्ञा" कह कर चर ने प्रस्थान किया । क्षरण भर बाद तानाजी ने प्रवेश कर कहा - "महाराज की क्या आज्ञा है ?" "क्या वे सब हथियार मिल गए ?" "जी महाराज !" "तो कैसी हैं ?" "अत्युत्तम, वे सभी बुजियों पर चढ़ा दी गई।" "वन्दुकें ?" "सब नई और उत्तम हैं। सब बन्दूकें, बर्खे और तलवार भी बाँट दी गई हैं।" "तुम्हारे पास कुल कितने घुड़सवार हैं ?" "मिर्फ पांच सौ।" “शेष ।" "शेष सव अशिक्षित किसानों की भीड़ है। उन्हें शस्त्र अवश्य मिल गए हैं, परन्तु उन्हें चलाना कदाचित् वे नहीं जानते।"