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लेकिन बनती हैं उन्हीं की भट्टियों में
गजल गाते होंगें हमारे जगजीत सिंह
गजल आई यहां उन्हीं के साथ अरब से, फारस से

और जहां तक देश की आजादी की बात है या शहादत की,
तो हमारे तात्या, लक्ष्मी, मंगल पांडे
गांधी, नेहरू, सुभाष
भगत सिंह, चन्द्रशेखर, रामप्रसाद के साथ ही

खड़े हैं उनके भी
जफर, टीपू, बेगम हजरतमहल
अबुल कलाम, अशफाक, अब्दुल हमीद

 
104/ साम्प्रदायिकता