पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

राष्ट्रवाद और साम्प्रदायिकता साम्प्रदायिकता की राजनीति और कुकृत्य इतने घिनौने और अमानवीय हैं कि साम्प्रदायिकता फैलाने वाले लोग भी स्वयं को साम्प्रदायिक कहते हुये शर्माते हैं, इसलिए वे अपने इस रूप को छुपाने के लिए तथा समाज से सम्मान व समर्थन पाने के लिए तरह-तरह की शब्दावली का प्रयोग करते हैं। राष्ट्रवाद भी एक ऐसा ही शब्द है, जिसका वे खूब प्रयोग करते हैं और स्वयं को राष्ट्रवादी कहते हैं, और राष्ट्रवाद की आड़ लेकर राष्ट्र-विरोधी और राष्ट्रवाद विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं। कई बार अनजाने में या साम्प्रदायिकता के दुष्प्रचार से प्रभावित होकर लोग साम्प्रदायिक लोगों को राष्ट्रवादी कहने लगते हैं जैसे हिन्दू साम्प्रदायिक, मुस्लिम साम्प्रदायिक या सिख साम्प्रदायिक की जगह हिन्दू राष्ट्रवादी, मुस्लिम - राष्ट्रवादी या सिख- राष्ट्रवादी। असल में साम्प्रदायिक लोगों को राष्ट्रवादी कहना उनको वैधता व सम्मान देना है। स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचन्द्र बोस, डॉ. भीमराव अम्बेडकर आदि राष्ट्रवादी नेताओं ने साम्प्रदायिकों के लिए कभी 'राष्ट्रवादी' शब्द का प्रयोग नहीं किया बल्कि उनके असली चरित्र को बताने वाले 'साम्प्रदायिक' शब्द का ही प्रयोग किया । - राष्ट्रवाद और साम्प्रदायिकता दोनों परस्पर विरोधी हैं । यह बिल्कुल संभव नहीं है कि एक व्यक्ति साम्प्रदायिक भी रहे और साथ-साथ राष्ट्रवादी भी रहे। किसी राष्ट्र में उसके लोग ही सबसे महत्वपूर्ण घटक हैं। जनता के बिना किसी राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती। राष्ट्र की मजबूती के लिए जनता में एकता व भाईचारा होना आवश्यक है। जनता में एकता व भाईचारा जितना अधिक होगा कोई राष्ट्र उतना ही मजबूत होगा। जनता में एकता और भाईचारा पैदा करने वाली शक्तियों को ही सच्चा राष्ट्रवादी कहा जा सकता है। जबकि साम्प्रदायिक शक्तियां धर्म के आधार पर देश की जनता की एकता को तोड़ती हैं, उनमें फूट डालती हैं और उनको आपस में लड़वाने के लिए एक दूसरे के बारे में गलतफहमियां पैदा करती हैं और देश को अन्दर से खोखला करती हैं तो उनको राष्ट्रवादी किसी भी दृष्टि से नहीं कहा जा सकता। साम्प्रदायिक सद्भाव पर शहीद हुए क्रांतिकारी गणेशशंकर विद्यार्थी ने 'राष्ट्रीयता' पर प्रकाश डालते हुए लिखा है 'राष्ट्रीयता जातीयता नहीं है । राष्ट्रवाद और साम्प्रदायिकता / 43