पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/६२

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हैं। अपने ही समाज में कुछ जातियों का वर्चस्व स्थापित करने के लिए और अधिकांश लोगों को सताने के लिए जाति का हथियार इस्तेमाल किया जाता है और अपने समुदाय से बाहर के लोगों पर वर्चस्व स्थापित करने के लिए जाति-उत्पीड़ित लोगों की मदद लेकर साम्प्रदायिकता का हथियार इस्तेमाल किया जाता है। कमजोर व गरीब लोगों को आपस में बांटने व लड़वाने का यह ऐसा हथियार है जिसकी एक धार जातिवाद से पैनी की जाती है तो दूसरी धार साम्प्रदायिकता से । साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने वाले नेताओं ने, संगठनों ने व राजनीतिक दलों ने कभी जातिवाद के खिलाफ अभियान नहीं चलाया। हां उनके लिए जटिल स्थिति अवश्य रही है कि उनको जातियों में बंटा हुआ, एक के ऊपर एक उच्च जाति वाला समाज भी चाहिए और साम्प्रदायिकता की राजनीति को बढ़ावा देने के लिए सभी जातियों को एक समुदाय की पहचान देने वाला मंच भी चाहिए। इसी बात को इसी तरह से भी कहा जा सकता है कि साम्प्रदायिक शक्तियों को सामाजिक रूप से जातियों में विभाजित समाज चाहिए और राजनीतिक दृष्टि से सभी एक झण्डे के तले । साम्प्रदायिक शक्तियों का जाति- - प्रथा के प्रति व निम्न कही जाने वाली जातियों के प्रति रवैये को जानने के लिए उन्हीं द्वारा जारी सामग्री को यहां देना उपयुक्त है। । ‘काफी समय से पहले मुद्रण माध्यम ने आर. एस. एस. के गुप्त परिपत्र नं. 411 की विषय सूची का रहस्योद्घाटन किया था । जो उसके कमांडरों तथा उपदेशकों द्वारा कार्यान्वित करने के लिए जारी किया था। अपनी पुस्तक 'दलितस् आफटर पार्टीशन' में डां. ओनील बिस्वास ने कथित परिपत्र के कुछ बिन्दु गिनाए हैं।' वे हैं:- " आर. एस. एस. परिपत्र नं. 411 कमांडरों तथा उपदेशकों के लिए जारी किया गया है। यह निम्नलिखित कृत्यों के लिए है: 11 2. अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग के लोगों को पार्टी में भर्ती करना है ताकि अम्बेडकरवादियों तथा मुसलमानों से लड़ने वाले स्वयं सेवक बन जाएं। 5. डाक्टरों तथा फार्मास्टिों को हिन्दुत्व की शिक्षा बदले की भावना से दी जाए ताकि उनकी मदद से मीयाद बाहर दवाएं अनुसूचित जातियों मुसलमानों और जनजातियों में बांटी जा सकें। शूद्रों, अतिशूद्रों, मुसलमानों, ईसाइयों आदि के नवजात शिशु टीके लगाकर पंगु बना दिए जाएं। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए रक्तदान शिविरों का दिखावा करना चाहिए। 8. अनुसूचित जाति, मुसलमान तथा ईसाई स्त्रियों को वेश्यावृति से जीवन जीने के लिए प्रोत्साहन तथा प्रेरणा जारी रखी जाए। साम्प्रदायिकता और जातिवाद / 63