पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/६४

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'1992 में बाबरी मस्जिद गिराये जाने के बाद उनके द्वारा भड़काये गए उन्माद के सहारे वर्ण व्यवस्था को मज़बूत करने की दृष्टि से आर. एस. एस. ने अपनी शाखाओं के लिए एक गुप्त सर्कुलर जारी किया था। उक्त सर्क्यूलर पुलिस के हाथ लग जाने के बाद सार्वजनिक हुआ। नागपुर से प्रकाशित दैनिक लोकमत के 22 जनवरी 1994 के संस्करण में यह सर्कुलर प्रकाशित हुआ। इस सर्कुलर की भाषा इस प्रकार है: 'आपको पुराने कार्यक्रमों के अलावा कुछ नए अतिरिक्त कार्यभार सौंपे जा रहे हैं। कुछ कार्यों में संशोधन करने की जरूरत है। संरक्षकों एवं स्वयंसेवकों तक निम्नलिखित सूचना पहुंचाना आवश्यक है। अपनी प्रतिक्रिया मुख्यालय को भेजें। सूचना पहुंचाने के बाद यह पत्रक नष्ट कर दिया जाये।' 1. हथियार और विस्फोटक भरपूर मात्र में प्राप्त करें । 2. मुसलमान और अम्बेडकरवादियों के खिलाफ गैर सवर्ण हिन्दुओं (अवर्ण) को लड़ने के लिए प्रवृत (उकसायें) करें । 3. सरकारी पदाधिकारियों में हिन्दुत्व की भावना को महत्वाकांक्षी बनायें । 4. डॉक्टरों और दवा विक्रेताओं में हिन्दुत्व की भावना जगाई जाये जिससे वे अपनी कालबाह्य हानिकारक और फालतू दवायें ही अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े और मुसलमान ग्राहकों को बेचें । 5. अवर्ण (गैर सवर्ण) और पिछड़ों की बस्तियों में छोटे-छोटे बच्चों में ओम और जय श्रीराम शब्दों की लोकप्रियता बनायें । 6. हिन्दू विरोध (ब्राह्मण विरोध) करने वाले धर्मनिरपेक्षतावादियों के कार्यक्रमों का बहिष्कार करें । 7. पिछड़ी जाति की बस्तियों में दारू, नशीले पदार्थ, जुआ, लाटरी आदि के जरिये पैसा बटोरने में लगे व्यवसायों की मदद करें । 8. मुसलमानों और गैर सवर्णों की लड़कियां छोटी उम्र में वेश्यावृत्ति करने लगें या देवदासी बन जायें, इसकी चेष्टा करें । 9. अपने स्वयंसेवकों, संगठनों से जुड़े शिक्षकों और दूसरे लोगों के जरिये गैर सवर्ण हिन्दुओं खासकर अम्बेडकरवादियों के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को ऐसे खाद्य पदार्थ दिए जायें जिससे उनका मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक विकास कुन्द हो जाये । 10. अनुसूचित जाति, जनजाति समाज के छात्र को अपने स्कूलों में अधिकाधिक प्रवेश दें और केवल अपने सिद्धांतों के मुताबिक इतिहास की शिक्षा दें । साम्प्रदायिकता और जातिवाद / 65