पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/८५

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साम्प्रदायिक शक्तियां शिवाजी को साम्प्रदायिकता के रंग में रंगती हैं, दूसरे धर्म की स्त्रियों का अपमान करती हैं। साम्प्रदायिक शक्तियां अपने आदर्श के रूप में शिवाजी को रखकर उनका अपमान करती हैं। आजादी के आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पंजाब केसरी लाला लाजपतराय ने शिवाजी की जीवनी लिखी है। उसमें शिवाजी का औरगंजेब को लिखा गया एक पत्र शामिल किया है, उस पत्र को पढ़कर अनुमान लगाया जा सकता है कि औरंगजेब और शिवाजी के बीच कोई धर्म युद्ध नहीं था बल्कि राजनीतिक संबंध थे । 'सन 1679 में औरगंजेब को एक पत्र लिखा। उन्होंने लिखा- शंहशाह आलमगीर ओरगंजेब की सेवा में शिवाजी सदैव आपका हितैषी रहा है। भगवान की कृपा और आपकी मेहरबानी के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। यद्यपि मुझे प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण आपसे भेंट किए बिना ही आपके दरबार से अचानक आना पड़ा। इस पर भी मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं आज भी एक कृतज्ञ सेवक की भांति आपकी सेवा करने के लिए कटिबद्ध हूं ।' .... 'बादशाह सलामत ! यदि आप ईश्वरीय पुस्तक कुरान में विश्वास रखते हैं, उसमें देखिए, वहां परमात्मा को रब्बे - उल - आलदीन ( मनुष्य मात्र का मालिक) कहा है, केवल मुसलमानों का मालिक नहीं कहा है । यथार्थ में हिन्दू धर्म और इस्लाम एक दूसरे के समान रूप से पूरक हैं। परमात्मा ने मनुष्य जाति के भिन्न भिन्न रूप रंग की रेखाओं को संपूर्ण करने के लिए इस्लाम और हिन्दू धर्म प्रयोग किया है यदि पूजा-स्थान मस्जिद है तो उसमें परमात्मा की स्मृति में आयतें गाई जाती हैं। यदि पूजा - स्थान मंदिर है तो वहां परमात्मा के दर्शनों की उत्कण्ठा में घंटे घडियाल गुजांए जाते हैं। किसी मनुष्य के धार्मिक विश्वास और कर्मकाण्ड के लिए अंधश्रद्धा तथा असहिष्णुता का प्रदर्शन करना इस्लामी पुस्तक की आज्ञाओं को बदलना है। नई नई बातें तथा प्रथाएं जारी करना दिव्य चित्रकार की स्मृति में दोष दिखाने के समान है।' इस तरह देखा जा सकता है कि शिवाजी हिन्दू और इस्लाम धर्म को एक दूसरे का विरोधी नहीं मानते थे बल्कि एक दूसरे का पूरक मानते थे । उनका मानना था कि सभी धर्मों का सार एक है, उनके रिवाजों में अन्तर है । रीति रिवाज, कर्मकाण्डों के आधार पर धार्मिक भेदभाव करना उचित नहीं है । उनको कुरान का पूरा ज्ञान था और वे इसका बहुत अधिक आदर करते थे। शिवाजी का नजरिया किसी भी तरह से साम्प्रदायिक नहीं था, लेकिन संकीर्ण धार्मिक शक्तियां अपने राजनीतिक लाभ के लिए शिवाजी जैसे 86 / साम्प्रदायिकता