पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/१५२

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से क़ायम रहा है। उदाहरण के लिए, ७ अक्तूबर १८५८ को एंगेल्स ने मार्क्स को लिखा: “इंगलैंड का सर्वहारा वर्ग दिन प्रति दिन अधिक पूंजीवादी होता जा रहा है, जिससे नतीजा यह निकलता है कि समस्त राष्ट्रों में सबसे अधिक पूंजीवादी यह राष्ट्र स्पष्टतः इस लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है कि आख़िर में चलकर उसके पास एक पूंजीवादी अभिजात वर्ग, और पूंजीपति वर्ग 'के साथ ही साथ एक पूंजीवादी सर्वहारा वर्ग भी हो। ज़ाहिर है, एक ऐसे राष्ट्र के लिए, जो पूरी दुनिया का शोषण करता हो, कुछ हद तक इस बात का हक़ भी है।" लगभग पच्चीस वर्ष बाद ११ अगस्त, १८८१ के एक पत्र में एंगेल्स "...इंगलैंड के उन बदतरीन क़िस्म के ट्रेड-यूनियनों" का उल्लेख करते हैं, "जो ऐसे लोगों के नेतृत्व को स्वीकार करते हैं जिन्हें पूंजीपति वर्ग ने यदि ख़रीद नहीं लिया है तो कम से कम वे उससे वेतन तो पाते ही हैं।" १२ सितम्बर १८८२ को कौत्स्की के नाम एक पत्र में एंगेल्स ने लिखा: “आपने मुझसे पूछा है कि अंग्रेज़ मज़दूर औपनिवेशिक नीति के बारे में क्या सोचते हैं? तो इसका उत्तर यह है कि बिल्कुल वही जो वे आम तौर पर पूरी राजनीति के बारे में सोचते हैं। यहां मज़दूरों की कोई पार्टी नहीं है, यहां केवल रूढ़िवादी तथा उदारवादी आमूलवादी हैं और उपनिवेशों तथा विश्व के बाज़ार पर अपनी इजारेदारी के कारण इंगलैंड जो गुलछर्रे उड़ा रहा है उसमें मज़दूर भी खुश होकर हिस्सा लेते हैं।"*[१] (एंगेल्स ने "इंगलैंड में मज़दूर वर्ग की हालत"


  1. * Briefwechsel von Marx und Engels (मार्क्स और एंगेल्स की चिट्ठी-पत्री), खण्ड २, पृष्ठ २९०; खण्ड ४,४५३ । Karl Kautsky, «Sozialismus und Kolonialpolitik», बर्लिन १९०७, पृष्ठ ७९; यह पुस्तिका कौत्स्की ने उस अत्यंत सुदूर अतीत में लिखी थी जब वह मार्क्सवादी ही थे।

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