पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/१५१

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तथा २,५७,३२९ खेत-मज़दूर थे।*[१] फ़्रांस में खनिज-उद्योग में जितने मज़दूर काम करते हैं वे "अधिकांशतः" विदेशी हैं: पोलैंडवासी, इटलीवासी तथा स्पेनी।**[२] संयुक्त राज्य अमरीका में पूर्वी तथा दक्षिणी यूरोप के आप्रवासी ऐसे व्यवसायों में काम करते हैं जिनमें पारिश्रमिक बहुत ही कम मिलता है, जबकि ओवरसियरों तथा अच्छा वेतन पानेवाले कर्मचारियों में सबसे अधिक अनुपात अमरीकी कार्यकर्ताओं का है।***[३] साम्राज्यवाद में मजदूरों के बीच भी विशेषाधिकारप्राप्त हिस्से पैदा कर देने और उन्हें सर्वहारा वर्ग की व्यापक जनता से अलग कर देने की प्रवृत्ति पायी जाती है।

यह बात ध्यान में रखने योग्य है कि ग्रेट ब्रिटेन में मजदूरों में फूट डालने, उनके बीच अवसरवाद को मज़बूत बनाने और मजदूर वर्ग के आंदोलन में अस्थायी रूप से ह्रास पैदा कर देने की साम्राज्यवाद की प्रवृत्ति उन्नीसवीं शताब्दी के अंत और बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ से बहुत पहले ही प्रकट हो गयी थी: क्योंकि साम्राज्यवाद की दो महत्वपूर्ण लाक्षणिक विशेषताएं ग्रेट ब्रिटेन में उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में ही दिखायी पड़ने लगी थीं, अर्थात् विस्तृत औपनिवेशिक प्रदेश और विश्व के बाज़ार में इजारेदार स्थिति। मार्क्स तथा एंगेल्स ने बताया था कि मज़दूर वर्ग के आन्दोलन में अवसरवाद तथा ब्रिटिश पूंजीवाद की साम्राज्यवादी विशेषताओं के बीच यह संबंध बाकायदा पिछले कई दशकों


  1. * Statistik des Deutschen Reichs (जर्मन साम्राज्य के आंकड़े—अनु॰), भाग २११।
  2. ** Henger, «Die Kapitalsanlage der Franzosen» (फ़्रांस द्वारा लगायी गयी पूंजी), स्टटगार्ट, १९१३।
  3. *** Hourwich, «Immigration and Labour», (आप्रवास तथा श्रम), न्यूयार्क, १९१३।

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