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पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/१७२

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में कूटनीति के आधुनिक इतिहास के निम्नलिखित काल बताये हैं: (१) क्रांति का युग; (२) सांविधानिक आंदोलन; (३) "वाणिज्यिक साम्राज्यवाद" का वर्तमान युग।*[] एक दूसरे लेखक ने १८७० से ग्रेट ब्रिटेन की "विश्व नीति" के इतिहास को चार कालों में विभाजित किया है: (१) प्रथम एशियाई युग (मध्य एशिया में भारत की दिशा में रूस की प्रगति के खिलाफ़ संघर्ष); (२) अफ़्रीकी युग (लगभग १८८५-१९०२): अफ़्रीका के बंटवारे के लिए फ़्रांस के खिलाफ़ संघर्ष का युग (१८९८ का "फ़शोदा कांड" जिसमें फ्रांस के साथ उसका युद्ध होते-होते बचा); (३) दूसरा एशियाई युग (रूस के खिलाफ़ जापान के साथ गंठजोड़) और (४) "यूरोपीय" युग, मुख्यतः जर्मनविरोधी।**[] इटली में कारोबार करनेवाली फ़्रांसीसी वित्तीय पूंजी किस प्रकार इन देशों के राजनीतिक गंठजोड़ के लिए रास्ता साफ़ कर रही थी, और किस प्रकार फ़ारस के सवाल पर जर्मनी तथा ग्रेट ब्रिटेन के बीच और चीनी ऋणों के सवाल पर सभी यूरोपीय पूंजीपतियों के बीच एक झगड़ा पैदा हो रहा था, आदि आदि बातों का हवाला देते हुए "बैंकपति" रीसेर ने १९०५ में लिखा कि "सैनिक चौकियों की राजनीतिक झड़पें वित्तीय क्षेत्र में होती हैं"। देखिये, यह है साधारण साम्राज्यवादी झगड़ों के अभिन्न प्रसंग में शांतिपूर्ण "अति-साम्राज्यवादी" गठजोड़ों की सजीव वास्तविकता।

कौत्स्की साम्राज्यवाद के सबसे गहरे विरोधों पर जो परदा डालते हैं, वह अनिवार्य रूप से साम्राज्यवाद पर मुलम्मा चढ़ाने का रूप धारण कर लेता है, उसकी छाप इस लेखक की साम्राज्यवाद की राजनीतिक


  1. * David Jayne Hill, «A History of the Diplomacy in the International Development of Europe», खंड १, पृष्ठ १०।
  2. ** शिल्दर, पहले उद्धृत की गयी पुस्तक, पृष्ठ १७८।

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