कि अंग्रेज़ी कहावत है, बड़ी हठीली चीज़ है, और हम चाहें या न चाहें, हमें उसपर ध्यान देना ही पड़ता है। तथ्य यह सिद्ध करते हैं कि रक्षा के लिए लगायी गयी चुंगियों या खुले व्यापार जैसी चीज़ों की दृष्टि से विभिन्न पूंजीवादी देशों के आपसी भेदों के कारण इजारेदारियों के रूपों में या उनके प्रगट होने के समय में बहुत ही नगण्य फ़र्क पड़ता और यह की उत्पादन के संकेंद्रण के परिणामस्वरूप इजारेदारियों का उदय होना पूंजीवाद के विकास की मौजूदा अवस्था का एक आम और बुनियादी नियम है।
यूरोप के बारे में यह काफ़ी हद तक ठीक-ठीक तय किया जा सकता है कि नये पूंजीवाद ने पुराने का स्थान अंतिम रूप से कब लिया : यह बीसवीं शताब्दी के शुरू में हुआ था। "इजारेदारियों के निर्माण" के इतिहास के एक नवीनतम संकलन में लिखा है:
"१८६० से पहले के ज़माने से पूंजीवादी इजारेदारी के इक्के- दुक्के उदाहरण दिये जा सकते हैं; उनमें इजारेदारियों के आज के प्रचलित रूपों के अंकुर देखे जा सकते हैं; पर वह सब निस्संदेह कार्टेलों के इतिहास से पहले की बात है। आधुनिक इजारेदारी का असली आरम्भ हद से हद उन्नीसवीं शताब्दी के सातवें दशक में हुआ था। इजारेदारी के विकास का पहला महत्वपूर्ण युग आठवें दशक में अन्तर्राष्ट्रीय औद्योगिक मंदी के साथ शुरू हुआ था और लगभग अंतिम दशक के आरंभ तक चलता रहा था।" "अगर इस सवाल को हम यूरोपीय पैमाने पर देखें तो हमें पता चलेगा कि खुली प्रतियोगिता सातवें और आठवें दशक में ही चोटी पर पहुंची थी। इंगलैंड ने अपने पुराने ढंग के पूंजीवादी संगठन का निर्माण इसी समय में पूरा किया था । जर्मनी में इस संगठन का दस्तकारी और घरेलू उद्योगों के साथ तीव्र संघर्ष छिड़ गया था और वह अपने लिए अस्तित्व के स्वयं अपने रूपों की रचना करने लगा था।"
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