पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/४३

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को केंद्रित किये ले रहा है, हजारों बिखरे हुए आर्थिक कारोबारों को एक ही राष्ट्रीय पूंजीवादी अर्थतंत्र में, और फिर एक विश्व पूंजीवादी अर्थतंत्र में बदले दे रहा है। पूर्वोक्त उद्धरण में शुल्जे-गैवर्नित्ज़ ने वर्तमान पूंजीवादी राजनीतिक अर्थशास्त्र के व्याख्याकार की हैसियत से जिस "विकेंद्रीकरण" का उल्लेख किया है उसका अर्थ वास्तव में यह है कि पहले जो आर्थिक इकाइयां अपेक्षतः “स्वतंत्र" थीं, या कहना चाहिए, बिल्कुल स्थानीय थीं वे अधिकाधिक संख्या में एक ही केंद्र के आधीन आती जायें। वास्तव में यह केंद्रीकरण है, विशालकाय इजारेदारों की भूमिका , उनके महत्व तथा उनकी शक्ति को बढ़ाना है।

पुराने पूंजीवादी देशों में “बैंकों के कारोबार का यह जाल" और भी घना है। १९१० में ग्रेट ब्रिटेन तथा आयरलैंड में बैंकों की शाखाओं की कुल संख्या ७,१५१ थी। चार बड़े बैंक ऐसे थे जिनमें से हर एक की ४०० से अधिक (४४७ से ६८९ तक ) शाखाएं थीं; चार बैंक ऐसे थे जिनकी हर एक की २०० से अधिक शाखाएं थीं और ग्यारह ऐसे थे जिनकी हर एक की १०० से अधिक शाखाएं थीं।

फ़्रांस के तीन बहुत बड़े बैंकों ने , Credit Lyonnais, Comptoir National और Societé Générale *[१] ने , अपना कारोबार और अपनी शाखाओं का जाल इस प्रकार फैला रखा था :**[२]


  1. * "लिओन का ऋण बैंक", "हिसाब का राष्ट्रीय दफ्तर", "जेनरल सोसायटी" - अनु० ।
  2. ** Eugen Kaufmann, «Das französische Bankwesen», Tübingen, 1911, पृष्ठ ३५६ तथा ३६२ ।

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