पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/५५

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थे, जिनमें कुप्प के, शक्तिशाली जहाजरानी कंपनी «Hapag» (हैम्बर्ग- अमेरिकन लाइन) इत्यादि के संचालक शामिल थे। १८९५ से १६१० तक इन छ: बैंकों में से हर एक ने सैकड़ों प्रौद्योगिक कम्पनियों के (जिनकी संख्या २८१ से बढ़कर ४१६ तक पहुंच गयी) शेयरों और बांडों के लेन-देन में हिस्सा लिया।*[१]

बैंकों तथा उद्योगों के इस “वैयक्तिक संबंध" को सरकार के साथ इन दोनों के “वैयक्तिक संबंध" से पूर्णता मिलती है। जीडेल्स ने लिखा है कि “निरीक्षण मंडलों में स्थान बड़ी आज़ादी के साथ पदवीधारी लोगों को और उन भूतपूर्व सरकारी अफ़सरों को भी दिये जाते हैं जो सरकारी पदाधिकारियों के साथ संबंध स्थापित कराने में बहुत काफ़ी सुविधा (!!) प्रदान कर सकते हैं"... "आम तौर पर हर बड़े बैंक के निरीक्षण मंडल में संसद का कोई सदस्य या बर्लिन नगरपालिका का कोई सदस्य होता है।"

कहना चाहिए कि बड़ी-बड़ी पूंजीवादी इजारेदारियों का निर्माण इसलिए "स्वाभाविक" तथा "अलौकिक" सभी प्रकार के उपायों से पूरी तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। कुछ सौ वित्त-सम्राटों के बीच, जिनका आधुनिक पूंजीवादी समाज पर शासन है, श्रम का विभाजन सुव्यवस्थित ढंग से हो रहा है :

"कुछ बड़े-बड़े उद्योगपतियों के कार्य-क्षेत्र के इस प्रकार विस्तृत होते जाने" (बैंकों के बोर्डों में शामिल होने , आदि) “और बैंकों के प्रांतीय संचालकों के कार्य-क्षेत्र में किसी निश्चित औद्योगिक प्रदेश को दिला देने के साथ-साथ बड़े बैंकों के संचालकों में अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ बनने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। वास्तव में इस प्रकार की विशेषज्ञता प्राप्त करने की प्रवृत्ति की कल्पना उसी दशा में की जा सकती है जब


  1. *जीडेल्स , पहले उद्धृत की गयी पुस्तक; रीसेर, पहले उद्धृत की गयी पुस्तक।

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