पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/६९

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" बड़े बैंक और विश्वव्यापी मंडी"*[१] पूर्णतः उपयुक्त नहीं था। लेखक ने बड़े-बड़े रूसी बैंकों को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया है : (क) वे बैंक जो "होल्डिंग पद्धति" के अंतर्गत आते हैं, और (ख) "स्वतंत्र" बैंक-परन्तु यहां बिना किसी आधार के "स्वतंत्रता" का अर्थ विदेशी बैंकों से स्वतंत्र होना लगाया गया है। लेखक ने पहली श्रेणी के बैंकों को तीन उप-श्रेणियों में विभाजित किया है : (१) जर्मन होल्डिंग, (२) ब्रिटिश होल्डिंग , और (३) फ़्रांसीसी होल्डिंग ; यह विभाजन उन्होंने उल्लिखित देश विशेष के बड़े विदेशी बैंकों की “होल्डिंगों" तथा उनके प्रभुत्व को दृष्टिगत रखते हुए किया था। लेखक ने बैंकों की पूंजी को “उत्पादक ढंग से" लगी हुई पूंजी (प्रौद्योगिक तथा वाणिज्यिक कारोबारों में) तथा "सट्टेबाजी के ढंग से" लगी हुई पूंजी में (स्टाक एक्सचेंज तथा वित्तीय कारोबार में) विभाजित किया है, उन्होंने अपने निम्न-पूंजीवादी-सुधारवादी दृष्टिकोण के कारण यह मान लिया है कि पूंजीवाद के अंतर्गत पहले ढंग से लगायी गयी पूंजी को दूसरे ढंग से लगायी गयी पूंजी से अलग करना और दूसरे ढंग का उन्मूलन कर देना संभव है।

उन्होंने जो आंकड़े दिये हैं वे इस प्रकार हैं :


  1. * E. Agahd, «Grossbanken und Weltmarkt. Die wirtschaftliche und politische Bedeutung der Grossbanken im 'Weltmarkt unter Berücksich- tigung ihres Einflusses auf Russlands Volkswirtschaft und die deutsch- russischen Beztehungen», Berlin - 1914. (बड़े बैंक और विश्वव्यापी मंडी। विश्वव्यापी मंडी में बड़े बैंकों का आर्थिक तथा राजनीतिक महत्व , रूस के राष्ट्रीय अर्थतंत्र पर उनके प्रभाव तथा जर्मन-रूसी संबंधों के प्रसंग में। - अनु०)

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