है और "होल्डिंगों" का अनुमान , बल्कि कहना चाहिए कि इस बात का अनुमान कि उनपर किस हद तक विदेशी बैंकों का प्रभुत्व है, उन्होंने इस प्रकार लगाया है : फ्रांसीसी बैंक - ५५ प्रतिशत ; अंग्रेज़ - १० प्रतिशत; जर्मन - ३५ प्रतिशत । लेखक ने अनुमान लगाया है कि ८,२३,५०,००,००० रूबल कुल सक्रिय पूंजी में से ३,६८,७०,००,००० रूबल , अर्थात् ४० प्रतिशत से अधिक , "प्रोदुगोल" तथा "प्रोदामेत" नामक दो सिंडीकेटों के - और तेल , धातु तथा सीमेंट के उद्योगों के सिंडीकेटों के - हिस्से में आती है। इस प्रकार पूंजीवादी इजारेदारियों के निर्माण से रूस में बैंकों की तथा उद्योगों की पूंजी के एक में मिल जाने की दिशा में भी बहुत प्रगति हुई है।
वित्तीय पूंजी जो थोड़े-से लोगों के हाथों में संकेंद्रित होती है और जो वास्तव में इजारेदारी-सी होती है, कम्पनियां खोलकर, शेयर जारी करके और राज्यीय ऋणों आदि द्वारा बेशुमार मुनाफ़ा कमाती है, जो लगातार बढ़ता ही जाता है, वह वित्तीय अल्पतंत्र के प्रभुत्व को और मज़बूत बनाती है और इजारेदारों के फ़ायदे के लिए पूरे समाज से चौथ वसूल करती है। हम यहां पर अमरीकी ट्रस्टों के "व्यापार" के तरीकों के असंख्य उदाहरणों में से एक उदाहरण दे रहे हैं जिसे हिल्फ़र्डिंग ने उद्धृत किया है : १८८७ में हैवमेयर ने पंद्रह छोटी-छोटी कम्पनियों को मिलाकर, जिनकी कुल पूंजी ६५,००,००० डालर थी, शकर ट्रस्ट की स्थापना की। अमरीकियों की शब्दावली में, इस पूंजी में उचित मात्रा में “पानी मिलाकर” ट्रस्ट की पूंजी को ५,००,००,००० डालर तक बढ़ाया गया। आगे चलकर होनेवाले इजारेदारी मुनाफ़ों को ध्यान में रखते हुए ही इस प्रकार “पूंजी को बढ़ा-चढ़ाकर" घोषित किया गया था, बिल्कुल उसी प्रकार जैसे भविष्य में होनेवाले इजारेदारी मुनाफ़ों की आशा में "यूनाइटेड स्टेट्स स्टील कार्पोरेशन" कच्चे लोहे की यथासंभव अधिक से अधिक खानों को खरीदता जा रहा है। वास्तव में,
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