सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

हितों के अधीन कर सकते हैं। यदि हम केवल इस बात को याद करें कि जिस बड़े बैंक ने एलीवेटेड रेलवे कम्पनी के निर्माण को प्रोत्साहित किया था उसके हित कम्पनी के निर्माण के समय पहले से ही उसमें मौजूद थे, तो हमें विश्वास हो जायेगा कि हमारा यह अनुमान कितना सही है। कहने का मतलब यह कि यातायात के इस कारोबार के हित जमीन के टुकड़ों के व्यापार के हितों के साथ गुंथे हुए थे। बात यह है कि इस रेलवे की पूर्वी लाइन जिस जमीन से होकर गुज़रनेवाली थी उसे इस बैंक ने , जब यह बात तै हो गयी कि लाइन बिछायी जायेगी, बेच दिया और इस तरह अपने लिए और इस सौदे में शरीक कई दूसरे हिस्सेदारों के लिए बेशुमार मुनाफ़ा कमाया..."*[]

राजनीतिक व्यवस्था का रूप और “ब्योरे" की सभी दूसरी बातें कुछ भी हों पर जब एक बार कोई इजारेदारी बन जाती है और अरबों की रक़म पर उसका क़ब्ज़ा हो जाता है तो वह अनिवार्य रूप से सार्वजनिक जीवन के हर क्षेत्र में प्रविष्ट होती है। जर्मनी के आर्थिक साहित्य में हम अक्सर प्रशिया की नौकरशाही की ईमानदारी की भूरि- भूरि प्रशंसा और फ्रांसीसियों के शर्मनाक पनामा⁹ कांड तथा अमरीका के राजनीतिक भ्रष्टाचार की ओर संकेत पाते हैं। परन्तु वास्तविकता यह है कि जर्मनी के बैंकों के कारोबार से संबंधित पूंजीवादी साहित्य को भी निरंतर शुद्धतः बैंक के कारोबार के क्षेत्र से बाहर की बातों का, जैसे उदाहरणार्थ बैंकों में नौकरी कर लेनेवाले सरकारी अफसरों की संख्या निरंतर बढ़ते जाने के प्रसंग में “बैंकों के आकर्षण" का , उल्लेख इन शब्दों में करना पड़ता है: “आप उस सरकारी अफ़सर की ईमानदारी के बारे में क्या कहेंगे जिसके मन में हमेशा यही कामना रहती है


  1. «Die Banks" में Verkehrstrusts, (यातायात ट्रस्ट ) १९१४, १, पृष्ठ ८९।

७६