अंदाज़ा उत्सारण से, अर्थात् जारी की जानवाली हर प्रकार की - प्रतिभूतियों से , संबंधित आंकड़ों से लगाया जा सकता है।
इंटरनेशनल स्टेटिस्टिकल इंस्टीट्यूट की बुलेटिन में ए. नेमार्क ने *[१] सारी दुनिया में जारी की गयी प्रतिभूतियों के बारे में अत्यंत विशद , पूर्ण तथा तुलनात्मक आंकड़े प्रकाशित किये हैं , जिन्हें आंशिक रूप में आर्थिक साहित्य में बार-बार उद्धृत किया गया है। उन्होंने चार दशकों के आंकड़ों का जो योग दिया है, वह इस प्रकार है :
जारी की गयी कुल प्रतिभूतियां, अरब फ़्रांकों में
(दशक)
१८७१-१८८० | ७६.१ |
१८८१-१८९० | ६४.५ |
१८९१-१९०० | १००.४ |
१९०१-१९१० | १६७.८ |
उन्नीसवीं शताब्दी के आठवें दशक में सारी दुनिया में जारी की गयी प्रतिभूतियों की कुल रक़म , विशेष रूप से फ्रांस तथा प्रशिया के युद्ध के संबंध में जुटाये गये ऋणों के कारण और इस युद्ध के बाद जर्मनी में नयी कम्पनियां खड़ी करने की लहर चल जाने के कारण, बहुत ऊंची थी। कुल मिलाकर देखा जाये तो उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम तीन दशकों में यह वृद्धि अपेक्षतः इतनी तेज़ नहीं थी और केवल बीसवीं शताब्दी के प्रथम दस वर्षों में लगभग १०० प्रतिशत की विशाल वृद्धि देखने में आती है। इस प्रकार बीसवीं शताब्दी का आरंभ केवल इजारेदारियों ( कार्टेल, सिंडीकेट , ट्रस्ट) के विकास की दृष्टि से ही
- ↑ * Bulletin de l'institut international de statistique, t. XIX, livr. II. La Haye. 1912. छोटे राज्यों के संबंध में दूसरे स्तंभ में जो आंकड़े दिये गये हैं उनका हिसाब १९०२ के आंकड़ों को २० प्रतिशत बढ़ाकर लगाया गया है।
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