पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/९७

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नहीं हुआ था, "बेटी कम्पनियां" स्थापित करके घुसा जाये। इन दोनों ट्रस्टों के बीच आविष्कारों तथा प्रयोगों का आदान-प्रदान करने का भी समझौता हुआ।*[१]

यह बात स्वतः स्पष्ट है कि इस ट्रस्ट से, जो वास्तव में अकेला और प्रायः सारी दुनिया में फैला हुआ है, जिसके कब्जे में कई अरब की पूंजी है, और दुनिया के कोने-कोने में जिसकी “शाखाएं", एजेंसियां , प्रतिनिधि तथा संबंध आदि हैं , टक्कर लेना कितना कठिन था , परन्तु दो शक्तिशाली ट्रस्टों के बीच दुनिया के बंटवारे का अर्थ यह नहीं होता कि यदि असमान विकास, युद्ध, दिवाले आदि के फलस्वरूप शक्तियों का पारस्परिक संबंध बदल जाये तो पुनर्विभाजन हो ही नहीं सकता।

इस प्रकार के पुनर्विभाजन की कोशिशों का , पुनर्विभाजन के लिए संघर्ष का एक शिक्षाप्रद उदाहरण तेल-उद्योग में मिलता है।

जीडेल्स ने १९०५ में लिखा , “दुनिया का तेल का बाज़ार आज भी अभी तक दो बहुत बड़े वित्तीय गुटों के बीच बंटा हुआ है- राकफ़ेलर की अमेरिकन स्टण्डैर्ड आयल कं० और राथशिल्ड एंड नोबेल, जिसका बाकू के रूसी तेल-क्षेत्रों पर नियंत्रण है। इन दोनों गुटों का आपस में गहरा संबंध है। परन्तु पिछले कई वर्षों से पांच शत्रुओं के कारण उनकी इजारेदारी के लिए खतरा पैदा हो गया है"**[२] (१) अमरीकी तेल-क्षेत्रों में तेल का समाप्त हो जाना ; (२) बाकू की मांताशेव नामक कम्पनी की प्रतियोगिता ; (३) आस्ट्रिया के तेल-क्षेत्र ; (४) रूमानिया के तेल-क्षेत्र ; (५) समुद्र-पार के तेल-क्षेत्र , विशेष रूप से डच उपनिवेशों में (सैमुएल तथा शेल की अत्यंत धनवान कम्पनियां , जिनका संबंध भी ब्रिटिश पूंजी से है)। इन गुटों में से अंतिम तीन गुटों का संबंध बड़े-बड़े जर्मन बैंकों के साथ है,


  1. Riesser, पहले उद्धृत की गयी पुस्तक ; Diouritch, पहले उद्धृत की गयी पुस्तक , पृष्ठ २३९ ; Kurt Heinig, पहले उद्धृत किया गया लेख।
  2. जीडेल्स , पहले उद्धृत की गयी पुस्तक , पृष्ठ १९३ ।

7-1838

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