पृष्ठ:साहित्यलहरी सटीक.djvu/२०५

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[ २०४] (६) चतुरविहारी कवि ब्रजवासी संवत् १६०५ इन के पदराग सागगे- द्भव में बहुत हैं। (७) गोपकविं सं० १५९० रामभूषण १ अलंकारचन्द्रिका २ ए दो ग्रंथ बनाए हैं। (९) अमरेश कवि सं० १६३५ इन की कविता महा उत्तम है कालीदास जने अपने हजारा में इन का कविता बहुत सी लिखी है। (१०) आसकरन दास कछवाह राजा भीम सिंह नश्वरगढ़ वाले के पुत्र १६१५ पद बहुत बनाए हैं जो कृष्णानंद व्यास देव के संग्रहीत ग्रंथ में मौजूद हैं। (११) अजबेस प्राचीन सं० १९७० ये कवि श्रीराजा बीरभान सिंह जोध- पुर के इहां थे औ उसी देश के रहनेवाले बंदीजन मालूम होते हैं। __अजबेस नगन भाट १८९२ ये कवि श्रीमहाराज विश्वनाथसिंह बांधव नरेश के इहां थे। * (१२) कादर, [कादिरबख्स मुसलमान पिहानीवाल] सं० १६३५ कविता में निपुन थे औ सैयद इवराहीम पिहानी वाल रसखानि के शिष्य थे। (१४) टोडर, (राजा टोडरमल्ल खत्री पंजाबी) सं० १५८०ये राजा टोडर मल्ल अकबर बादशाह के दीवान आला थे इन के हालात में तारीख फ़ारसी भरी हुई है अरबी फारसी संस्कृत विद्या में महा निपुण थे श्री मद्भागवत को संस्कृत से फ़ारसी में उल्था किया है औ भाषा में नीति संबंधी बहुत कवित्त कहे हैं इन महाराज ने दो काम बहुत शुभ हिन्दुस्ता- नियों के लिए किए हैं एक तौ पंजाब देश में खत्रियों के इहां रिवाज तीनि साला मातम को उठाय केवल वार्षिक रसम को नियत किया दूसरे फारसी हिसाव किताब को ईरान देश के माफ़िक हिन्दुस्तान में जारी किया संवत् ९९८ हिजरी में शहर लाहौर में देहान्त हुआ। (१६) जैतकवि सं० १६०१ अकबर बादशाह के इहां थे। (१७) चरणदास ब्राह्मण पंडितपुर ज़िला फैजाबाद सं० १५३७ सुरोदय ग्रंथ बनाया। (१८) चतुरभुज सुंदर कविता करी है। . चतुरभुज दास सं० १६०१ राग सागरोद्भव में इन के बहुत पद हैं

  • १८९२ संवत् के अजबेस मूरदास के समय के नहीं है।

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