[ २१२ दै आप रीते हाथ घर को चले आए औ अपनी औ अपने पिता की कमाई तमाम उमर इसी भांति से लुटाते रहे। (६६) मानराय बंदीजन असनीले । १५८० अकबर के इही थे। (६७) रघुनाथ राय कवि सं० १६३५ यह कवीश्वर राना अमरसिंह जोधपुर के इहां थे। (६८) गनेश जी मिश्र सं १६१५ । (६९)कबीर (कबीरदास) जोलाहा काशी वासी सं० १६१० इन के दो ग्रंथ अर्थात् बीज १ रामैनी २ मेरे पास हैं औ इन के चरित्र तौ सब मनुष्यों पर विदित हैं कालिदास जू ने हजारा में इन का नाम भी लिखा है इस लिये हम ने भी लिख दिया। . (७०) लीलाधरक सं० १६१५ ए कवि महाराज गज सिंह जोधपुर के इहां थे औ इन का प्रमाण सत कवि करते चले आए हैं। (७१) नाथ कवि, नाथ कवि के नाम से मालूम नहीं होसत्ता कि नाथ कितने हुए हैं जैसे उदयनाथ काशीनाथ शिवनाथ शंभुनाथ हरिनाथ इत्यादि कबि लोगों ने नाथ करके अपना भोग वर्णन किया है जहां तक हम को मालूम हुआ तहां तक हर एक नाथ की कविता अलग अलग वर्णन करी है । नाथ कवि ब्रजबासी गोपाल भट्ट ऊंचगांव वाले के पुत्र इनकी काव्य रोगलागरोद्भव में षट ऋतु इत्यादि सुंदर है। (७२) दामोदरदास वृजवासी सं० १६२२ इनके पद रागसागर में है एक और दामोदर कवि हैं। (७३) दीलदार कवि सं० १६५० हजारा में इन की काव्य है । (७४) दौलति कवि सं० १६५१ । (७५) नागर कवि सं० १६४८ हजारा में इन के कवित्त हैं। (७६) दास (भिखारीदास कायस्थ) अरबल बुंदेलखण्डी सं० १७८० ए महान कवि भाषासाहित्य के आचार्य गिने जाते हैं छदार्णव नाम पिंगल १ रससारांस २ काव्यनिर्णय ३ शृंगारनिर्णय ४ बागबहार ५ ए पांच ग्रंथ इन के बनाये हुए अति उत्तम काव्य हैं। दास २ बेनीमाधौ दास पसका जिले गोंडा सं० १६५५ ए महा- स्मा गोस्वामी तुलसी दास जू के शिष्य उन्हीं के साथ रहते रहे हैं औ गोसाई जी के जीवनचरित्र की एक पुस्तक मोसाईचरित्र नाम बनाया है संवत् १६९९ में देहांत हुवा ।
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