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साहित्यालाप

दूसरा बादशाह

कुतबुद्दीन ऐबक [१२०६-१२१०]

मुइज़्ज़ुद्दीन के कोई लड़का न था। इस कारण एक ग़ुलाम को दिल्ली और दूसरे को ग़जनी मिली। वह अपने तुर्क ग़ुलामों ही को बेटा समझता रहा। इन ग़ुलामों ने इतनी योग्यता तो अवश्य दिखाई कि उसके मरने पर भी उसीके नाम के सिक्के इन्होंने जारी रक्खे। कुतुब मीनार पर एक जगह छोड़ कर ऐबक ने अपने को मालिक (बादशाह) कहीं नहीं कहा। अतः कुतुबुद्दीन ने कोई सिक्का अपने नाम का नहीं चलाया।

तीसरा बादशाह आराम शाह १२१०

ऐबक का पुत्र आराम पूरा एक वर्ष भी राज्य न कर सका। उसके तांबे के सिक्के मिले हैं जिनपर उसने अपने को अ़रबी में विजयी आराम शाह सुलतान लिखा है। वह अल्तमश से, जो बदाऊं का सूबेदार था, मारा गया। उस समय सिन्ध नासिरुद्दीन के हाथ में और लखनावती अलीमर्दन के हाथ में थी।

चौथा बादशाह शमसुद्दीन अल्तमश [१२२० से १२३५ तक]

यह ऐबक का गुलाम और दामाद था। बड़ा प्रतापी हुआ। इसकी सङ्गमर्मर की क़ब्र, अब तक, कुतुबमीनार से दक्षिण पश्चिम को, वर्तमान है। बग़दाद के खलीफ़ा से इसे खिताब मिला। चङ्गेज़ इसीके समय में हुआ। रणथम्भौर