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पैठानी सिक्कों पर नागरी

और ग्वालियर इसने तोड़े। ग्वालियर के लिए इसको ११ महीने लड़ना पड़ा। अल्तमश के सिक्कों के दो एक नमूने ये हैं—

(१)

चांदी—तांबा। ४८ ग्रेन। दिल्ली टकसाल। १३३१ ई॰

एक तरफ़ दूसरी तरफ़
घुड़सवार बैल
स्त्री हंमीर सुरितण स्त्री समसदिण
१२८८ (सं॰)

सुरितण से अभिप्राय सुल्तान से और समसदिण से शमसुद्दीन से है। संस्कृत में धर्म्म को वृष (बैल) कहते हैं। इसी लिए शायद हिन्दू राजा लोग अपने सिक्कों पर बैल का चित्र रखते थे। यह प्रथा मुसलमानों ने हिन्दुओं ही से सीखी।

अल्तमश ने जब रनथम्मौर विजय किया तब उसे बड़ी खुशी हुई। उस किले की जीत का वृत्तान्त तबक़ातेनासिरी में इस प्रकार लिखा है—

व दर शहूर सन सलासा व अशरीं व सतम आया अज़ीमते फतेह क़िला रतनपूर मुसम्मिक फरमूद। व आँ क़िला दर हिसानत व मतानत व इस्तेहकाम दर तमामे मुमालिक हिन्दोस्तान मज़कूर व मशहूर अस्त। दर तवारीख़ अहलेहिन्द चुनी आउरदा अन्द के हफताद बादशाह बपाये आँ किला