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वक्तव्य


सहसा न करना चाहिए। उदाहरणार्थ-दृष्टिकोण, हाथ बटाना, लागू होना, नङ्गी प्रकृति इत्यादि भाव या मुहावरे बोलचाल की हिन्दी में नहीं खपते। इनका प्रयोग भी कुछ ही समय से होने लगा है। यही भाव विचार-दृष्टि, सहायता करना और घटित होना लिखने या बोलने से अच्छी तरह व्यक्त किये जा सकते हैं और खटकते नहीं। नङ्गो प्रकृति अंगरेज़ी मुहावरे "Naked Nature" का अनुवाद है। उस में इतना वैदेशिक भाव भरा हुआ है कि उससे मिलता जुलता मुहावरा हिन्दी की टकसाल में ढालना किल बड़े तजरुबेकार मिंट मास्टर ( Mint Master ) ही का काम है। अभी तो इस तरह के मुहावरे ज़रूर खटकते हैं; पर यदि इनका प्रचार बढ़ता ही गया तो किसी दिन यह खटक जाती रहेगी और ये भी हिन्दी ही के मुहावरे हो जायेंगे। क्योंकि बन्दूक का छर्रा यदि शरीर के भीतर बहुत समय तक रह जाता है तो उससे भी उत्पन्न कसक धीरे धीरे जाती रहती है। तथापि इस प्रकार के अप्राकृतिक प्रयोग इष्ट नहीं। उन की संख्या वृद्धि से हिन्दी की विशेषता को धक्का पहुँचने का डर है।

१३-हिन्दी-भाषा और व्याकरण ।

हिन्दी का घनिष्ट सम्बन्ध संस्कृत से है। कोई तो संस्कृत को उसकी माता या मातामही बताते हैं, कोई प्राकृत को। कुछ विद्वान उसके सम्बन्ध-सूत्र को खींच कर वैदिक संस्कृत तक पहुंचा देते हैं। अस्तु । संस्कृत, वैदिक संस्कृत