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विचार-विपय्यर्य

और अपने पेट में रखकर, ज़रूरत पड़ने पर, धिना ज़रा भी रहो-बदल किये, उन्हें हम फिर भी बाहर निकाल सकते हैं। कम से कम हमारे धर्मशास्त्र में तो इस हड़पाहड़पी की कहीं भी मुमानियत नहीं । देखिए, अँगरेज़ी भाषा में एक मुहावरा है-" He was caught red handed "-उसे आत्मसात्क रके हिन्दी में हमने इस तरह उद्गीर्ण किया है---

"वह रंगे हाथों पकड़ लिया गया"

क्या इस तरह के नये नये और अनोखे मुहावरों की आमदनी से हमारी भाषा का कोष न बढ़ेगा? ज़रूर बढ़ेगा। उर्दू शाही ज़बान है। वह अँगरेज़ी गवर्नमेंट की कचहरियों के अहलकारों की दिलम्बा भी है । उसके तज़ बयान, उसके क़ायदे और उसकी फ़साहत का क्या कहना है ! इससे हमने तो उसपर भी धावा बोल दिया है । हिन्दी के आचार्य लिखते हैं-

"वह मारा गया"

छिः, कितना अशुद्ध वाक्य है ! मगर इसकी अशुद्धता किसी हिन्दी-लेखक के ध्यान में न आई । आई तो ज़बांदानी का दावा करनेवाले उर्दू ही के लेखकों के । यही कारण है जो वे इस वाक्य को सुधार कर इस तरह लिखने लगे हैं-

उसको मारा गया"

इसी तर्ज़ पर और इसी कायदे के मुताबिक, "उसको बुलाया गया" और "उसको धमकाया गया" आदि प्रयोग भी उन्होंने प्रचलित कर दिये हैं। उनकी राय है कि कर्मवाच्य