किस वास्ते जुस्तजू करू शुहरत की
इक दिन खुद ढूँढ़ लेगी शुहरत मुझ को
गुण हेाने ही से प्रसिद्धि प्राप्त होती है। पकड़ लाने की चेष्टा से वह नहीं मिलती।
कवित्व-शक्ति किसी विरले ही भाग्यवान् को प्राप्त होती है। यह शक्ति बड़ी दुर्लभ है । कवियशोलिप्सुओं के लिए कुछ साधनों के आश्रय की आवश्यकता होती है । ये साधन अनेक हैं। उनमें से मुख्य तीन है-प्रतिभा । अर्थात् कवित्व-बीज ) अध्ययन और अभ्यास । इनमें से किसी एक और कभी कभी किसी दो की कमी होने से भी मनुष्य कविता कर सकता है। परन्तु प्रतिभा का होना परमावश्यक है । बिना उसके कोई मनुष्य अच्छा कवि नहीं हो सकता । महाकवि क्षमेन्द्र ने अपनी पुस्तक-कविकराठाभरण-में, थोड़ेही में, इस विषय का अच्छा विवेचन किया है । वर्तमान कविमन्यां को चाहिए कि वे उसे पढ़े, स्वय न पढ़ सके तो किसी संस्कृत से उसे पढ़वा कर उसका आशय समझ लें। ऐसा करने से, श्राशा है, उन्हें अपनी त्रुटियों और कमजोरियों का पता लग जायगा । कवित्वशक्ति होने पर भी पूर्ववर्ती कवियों और महाकवियों की कृतियों का परिशीलन करना चाहिए और कविता लिखने का अभ्यास भी कुछ समय तक करना चाहिए ।छन्दःप्रभाकर में दिये गये छन्दोरचना के नियम जान कर तत्काल ही कवि न बन बैठना और समाचार-पत्रों के स्तम्भों तक दौड़ न लगाना चाहिए । क्षमेन्द्र ने लिखा है कि कवि बनने की इच्छा रखने