साधारण हिन्दी में कुछ भी अन्तर न रहे। इसलिए उर्दू को
हिन्दी ही लमलना चाहिए। मुसल्मान नागरी अक्षरों के विरोधी हैं, परन्तु यदि के इस देश को अपना देश समझते हैं और
इसमेंसजीवता लाकर हिन्दुओं के साथ साथ अपना भी कल्याण
करना चाहते हैं तो उनको विरोध छोड़ देना चाहिए। दस ही
पन्द्रह दिनों के नागरी अक्षर लीख सकते हैं और उन अक्षरों में
छपी हुई सरल पुस्तकें और समाचारपत्र पढ़ सकते हैं। इन प्रान्तों के मदरसों में तो गवर्नमेंट ने फारसी अक्षरों के साथ नागरी अक्षर भी सिखलाये जाने का नियम कर दिया है। अतएव मुसलमानों को नागरी अक्षर पढ़ने और शुद्ध हिन्दी बोलने तथा लिखने में अब बहुत ही कम कठिनाई पड़ेगी।
हिन्दुस्तान के उत्तर में केवल दो ही भाषायें प्रधान है। एक
हिन्दी, दूसरी बँगला । बँगला माया बंगाल के निवासी बोलते
हैं। यह भाषा मैथिली भाषा से मिलती है, और मैथिली भाषा
हिन्दी ही है, कोई पृथक भाषा नहीं। बँगला में संस्कृत शब्दों
का प्राचुय्र्य है । इस लए हिन्दी जाननेवालों को उसे सीखने में
कम प्रयास पड़ता है। बँगला के क्रियापद और विशेष विशेष
संज्ञायें जान लेने ही से हिन्दीवाले उसे भली भांति समझ सकते हैं। अतएव जब हिन्दी जाननेवालों के लिए बँगला इतना सरल है तो बंगालियों के लिए हिन्दी और भी सरल होनी चाहिए और वह है ही सरल। बंगाल के निवाली मध्यप्रान्त,मध्यभारत, बिहार और पज्जाब आदि में भरे पड़े हैं। उनको सर्वदा हिन्दी बोलनेवालों से काम पड़ता है। वे खूब हिन्दी बोल