हिन्दी-साहित्य के, कई प्रकार से, कई भाग हो सकते हैं। हम समझते हैं कि यदि उसके—प्राचीन, माध्यमिक और आधनिक—ये तीन ही विभाग किये जायं तो भी उसकी विभाग-परम्परा नहीं बिगड़ सकती। ये तीन विभाग इस प्रकार किये जा सकते हैं।
१ प्राचीन—१२०० से १५७० ईस्वी तक।
२ माध्यमिक—१५७० से १८०० ईस्वी तक।
३ आधुनिक—१८०० से आज तक।
हिन्दी साहित्य के इन तीनों विभागों का उल्लेख, संक्षेप पूर्वक, यथाक्रम, हम यहां पर करते हैं।
प्रामाणिक रीति पर इसका, इस समय, पता लगाना बहुत कठिन है कि कब प्राचीन हिन्दी प्राकृत भाषा से उत्पन्न हुई, अथवा कब प्राचीन हिन्दी के साहित्य की सृष्टि हुई, और किस विषय की कौन पुस्तक पहले पहल लिखी गई। अवन्ती के राजा मान के यहां ८२६ ईस्वी में पुष्प नामक एक कवि था। सुनते हैं उसीने पहले पहल हिन्दी में कविता की। राजपूताना में वेणा-नामक एक हिन्दी का कवि ११९८ ईस्वी में हो गया है। जगनिक कवि, वेणा के भी पहले, अर्थात् ११८० ईसवी में विद्यमान् था। परन्तु इन कवियों का एक भी सर्वमान्य ग्रन्थ। किसी किसीका उल्लेख राजस्थान में है। किसीका कहीं; किसीका कहीं। किसीके दो चार पद्य मिले भी तो उससे वह ग्रन्थकार नहीं कहा जा सकता। इन बातों से इतना अवश्य