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साहित्यालाप

हमारी लिखित भाषा और हमारी बोली में अधिकता से प्रयुक्त होने लगे। मुसलमानों के सम्पर्क से यद्यपि फ़ारसी शब्द बोलचाल में पहले से भी आने लगे थे तथापि उनका प्राचुर्य टोडरमल के समय ही से हुआ। अतएव यह कहना चाहिए कि, विशेष करके फ़ारसी शब्दों के प्रयोक्ता हिन्दू ही हैं। अब भी हम देखते हैं कि जब अंगरेजी पढ़े लिखे इस देश के लोग अपनी भाषा बोलते हैं तब वही अँगरेज़ी शब्दों का अधिक प्रयोग करते हैं। हिन्दी बोलते समय अंग्रेज लोग बहुत ही कम अँगरेज़ी शब्द काम में लाते हैं। यदि उनको कोई हिन्दी शब्द स्मरण नहीं आता तभी वे, विवश होकर, हिन्दी बोलते समय, अपनी भाषा का शब्द कह कर अपने मन का भाव प्रकट करते हैं । विद्वानों का मत है कि पहले पहल मुसलमान फ़ारसी मिली हुई हिन्दी बहुत कम बोलते थे। परन्तु जब से हिन्दुओं ने फ़ारसी पढ़ना आरम्भ किया और बोलचाल में वे फ़ारसी शब्द प्रयोग करने लगे तब से मुसलमान भी हिन्दुओं की उस ओर प्रवृत्ति देख उसी प्रकार की भाषा अधिक प्रयोग में लाने लगे। इससे यह फल निकला कि फ़ारसी मिली हुई हिन्दी (अर्थात उर्दू) की उत्पत्ति में पहले पहल हिन्दुओं की भी सहायता रही है।

'उर्दू' शब्द तुर्की भाषा का है। उसका अर्थ पड़ाव,डेरा अथवा तम्बू है। जब अमीर तैमूर देहली आया, तब उसने अपने पड़ाव का बाज़ार शहर में लगवा दिया। अतएव देहली का बाज़ार 'उर्दू ' कहलाया जाने लगा। तभी से इस